बसपा प्रमुख को कांग्रेस से दूरी बनाए रखने में दिख रही है अपनी भलाई

लखनऊ। लोकसभा चुनाव की तारीख आत पार्टियों में चुनावी हलचल मची हुई है वहीँ भाजपा को हराने के लिए भले ही कांग्रेस मायावती के लिए लोकसभा की सीट छोडऩे को तैयार है लेकिन, बसपा प्रमुख कांग्रेस के प्रति जरा भी नरमी बरतने वाली नहीं है साथ ही बसपा प्रमुख को कांग्रेस से दूरी बनाए रखने में ही अपनी भलाई दिख रही है।
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आपको बता दें पिछले लोकसभा चुनाव में शून्य पर सिमटने के बाद भाजपा से मुकाबले के लिए मायावती ने अबकी सपा से तो अप्रत्याशित तौर पर गठबंधन किया है लेकिन कांग्रेस से दूरी बनाए रखी। इतना ही नहीं अमेठी-रायबरेली से गठबंधन के चुनाव न लडऩे पर कांग्रेस द्वारा मायावती के खिलाफ प्रत्याशी न उतरने की घोषणा भी बसपा प्रमुख को रास नहीं आई। कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए मायावती ने उस पर भ्रम फैलाने तक का आरोप जड़ दिया।
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जानकारी के मुताबिक पहले-पहल दलित समाज और फिर मुस्लिम समाज के भी बसपा से जुडऩे का ही नतीजा रहा कि कांग्रेस का जनाधार घटता गया और बसपा सत्ता में भागीदार बनती रही। वर्ष 2007 में तो सोशल इंजीनियरिंग के तहत अपर कास्ट को भी साथ लेकर बसपा सूबे में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने तक में कामयाब रही है।

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