बंगाल शिफ्ट होगा कानपुर का चमड़ा उद्योग, ये है खास वजह

कानपुर की पहचान बन चुके चमड़ा उद्योग का अब यहां से मोहभंग होने लगा है। लगातार बंदी और घटते कारोबार से परेशान उद्यमी दूसरे प्रदेशों में भविष्य तलाश रहे हैं। यहां के 18 उद्यमियों ने बंगाल सरकार के साथ 700 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश का करार किया है। प्रदेश में कानपुर और आगरा चमड़ा उत्पादों के हब हैं।

सूबे से होने वाले कुल निर्यात का 12.47 फीसद केवल चमड़ा उत्पाद ही हैं। कानपुर में डेढ़ लाख से अधिक लोग प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से इस कारोबार से जुड़े हैं, लेकिन पिछले वर्ष नवंबर से टेनरियों की बंदी से उद्यमी टूटने लगे हैं। ऐसे में जब बंगाल सरकार ने उद्यमियों को सस्ती जमीन और बेहतर सुविधाओं का वादा किया तो 18 उद्यमियों ने वहां निवेश करार कर लिया। चमड़ा उद्योग के विशेषज्ञ जफर फिरोज बताते हैं कि 18 में से छह को उद्यमियों को जमीन भी दो दिन पहले आवंटित कर दी गई है। हालांकि इसे कानपुर से पलायन नहीं कहा जाएगा, लेकिन बेहतर सुविधाएं होतीं तो यह निवेश यहां भी हो सकता था।

कतार में अभी 22 और उद्यमी

बंगाल में निवेशक उद्यमी असद इराकी ने कहा कि कानपुर तो घर है, लेकिन यहां उद्योग ही बंद है। काम का माहौल नहीं है, सो बंगाल जाना पड़ रहा है। कानपुर से कुल 40 उद्यमियों ने आवेदन किया था। बाकी का भी जल्द करार होने की उम्मीद है।

जितना कमाया नहीं, उतना तो गंवाया

बीते साल मुख्यमंत्री ने जो इन्वेस्टर्स समिट बुलाई थी, उसमें जिले में 1,841 करोड़ रुपये के निवेश करार हुए थे। इसमें अभी 500 करोड़ का निवेश भी धरातल पर नहीं उतरा है, जबकि केवल चमड़ा सेक्टर में ही करीब 700 करोड़ रुपये का निवेश कानपुर से चला गया।

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