फेफड़ों के कैंसर के खतरे को बढ़ाती हैं ये चीजें,

फेफड़ों का कैंसर (लंग कैंसर) तब होता है जब फेफड़ों में कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से ऊपर-नीचे होने लगती हैं। आमतौर पर इसके लक्षण प्रारंभिक चरण में सामने नहीं आते हैं। लगातार खांसी, सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द, गला बैठना, हड्डियों में दर्द, सिरदर्द, खांसते वक्त खून आना आदि फेफड़ों के कैंसर के लक्षण हैं। धूम्रपान फेफड़े के कैंसर के सबसे सामान्य कारणों में से एक है।

फेफड़ों का कैंसर मूल रूप से दो प्रकार के होता है पहला स्मॉल सेल लंग कैंसर और दूसरा नॉन  स्मॉल सेल लंग कैंसर। स्मॉल सेल लंग कैंसर आम नहीं है और अधिकतर उन लोगों को होता है जो धूम्रपान करते हैं। हालांकि नॉन  स्मॉल सेल लंग कैंसर नें अन्य सभी प्रकार के फेफड़ों के कैंसर आते हैं। जहां बात इसके उपचार की आती है तो डॉक्टर सीटी स्कैन और पॉज़िट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी (पीईटी) स्कैन जैसे इमेजिंग परीक्षणों का उपयोग करते हैं। इसके अलावा, प्रयोगशाला परीक्षण के लिए फेफड़े के ऊतकों को लिया जा सकता है।

इस स्थिति का शुरू में निदान किसी का भी जीवन बचा सकता है। फेफड़ों का कैंसर संभावित रूप से शरीर के अन्य भागों में फैल सकता है और जान जाने का खतरा पैदा कर सकता है। इसके उपचार के लिए डॉक्टर सर्जरी, कीमोथेरेपी, विकिरण चिकित्सा या लक्षित चिकित्सा का प्रयोग करते हैं। फेफड़ों के कैंसर को रोकने के लिए आपको इसके जोखिम कारकों की ओर ध्यान देने की जरूरत है। इसलिए हम आपको ऐसे पांच जोखिम कारकों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्हें आप अपनी दिनचर्या से हटाकर स्वस्थ रह सकते हैं।

धूम्रपान

आपमें फेफड़ों के कैंसर का जोखिम आपके द्वारा रोजाना पीएं जाने वाली सिगरेट की संख्या पर निर्भर करता है। अगर आप रोजाना अधिक संख्या में सिगरेट पीते हैं तो आपमें फेफड़ों के कैंसर का जोखिम अधिक रहता है। वैसे धूम्रपान हमेशा से ही स्वास्थ्य के लिए घातक सिद्ध होता है।

सिगरेट का धुआं भी है खतरनाक

अगर आप सिगरेट नहीं पीते लेकिन आपके समूह में कुछ लोग ऐसे हैं, जो नियमित रूप से धूम्रपान करते हैं और आप अक्सर उनके साथ रहते या घूमते हैं तो आप भी फेफड़ों के कैंसर की चपेट में आ सकते हैं क्योंकि सिगरेट से निकलना वाला धुआं भी हवा में घुलकर आपके भीतर जा रहा है, जो कि कैंसर का कारण बन सकता है।

पीने के पानी में मौजूद आर्सेनिक

जर्नल इनवायरमेंटल रिसर्च में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक पीने के पानी में मौजूद आर्सेनिक से भी फेफड़ों का कैंसर हो सकता है।

एसबेस्टस के संपर्क में आने से हो सकता है कैंसर

सामान्यतौर पर वे लोग, जो खदानों में काम करते हैं वे अधिकतर एसबेस्टस के संपर्क में आते हैं। एसबेस्टस कैंसरकारी तत्व है।  एसबेस्टस संभावित रूप से फेफड़ों के कैंसर का कारण बन सकता है।

परिवार में रहा हो फेफड़ों के कैंसर का इतिहास

अगर आपके परिवार के लोगों को फेफड़ों का कैंसर रहा है तो आप भी इस बीमारी का शिकार हो सकते हैं। दरअसल परिवार में कैंसर के रोगी होने का इतिहास आपके जीन से जुड़ा होता है। इसलिए घर के किसी सदस्य को हुई बीमारी, आपको भी हो सकती है।

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