फसल ऋण पर मिलने वाली ब्याज सब्सिडी सीधे किसानों के खाते में जाए : रिजर्व बैंक

रिजर्व बैंक के एक इंटरनल वर्किंग ग्रुप ने शॉर्ट टर्म क्रॉप लोन पर ब्याज सब्सिडी का भुगतान बैंकों को करने के बजाय सीधे किसानों के खाते में करने को कहा है। इस सिफारिश से कृषि ऋण वितरण की व्यवस्था अधिक पारदर्शी हो सकेगी। रिजर्व बैंक के इस ग्रुप का कहना है कि इंटरेस्ट सबवेंशन स्कीम की जगह धनराशि लक्षित लाभार्थियों को व्यक्तिगत या स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से डीबीटी के जरिये ट्रांसफर करनी चाहिए।

लाभार्थियों में सीमांत और छोटे किसानों, बटाईदार, पट्टेदार और भूमिहीन श्रमिक शामिल हैं। ग्रुप ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट रिजर्व बैंक को सौंपी है। फिलहाल सरकार शॉर्ट टर्म क्रॉप लोन पर ब्याज दर में छूट के तौर पर बैंकों को आरबीआइ और नाबार्ड के माध्यम से ब्याज सब्सिडी का भुगतान करती है।

इसके लिए सरकार हर साल अपने बजट में बाकायदा प्रावधान करती है। ऐसे में नई व्यवस्था होने पर ब्याज सब्सिडी की राशि सीधे किसानों के खातों में जाएगी। इससे कृषि ऋण की मौजूदा व्यवस्था में पारदर्शिता भी आएगी। सरकार ने 2006-07 में शॉर्ट टर्म क्रॉप लोन के लिए इंटरेस्ट सबवेंशन स्कीम शुरू की थी।

दरअसल बैंक तीन लाख रुपये तक का शॉर्ट टर्म क्रॉप लोन किसानों को नौ फीसद परसेंट ब्याज दर पर उपलब्ध कराते हैं। हालांकि सरकार सब्सिडी देकर ब्याज दर में दो परसेंट की छूट मुहैया कराती है। इस तरह किसानों को सात परसेंट की दर पर कर्ज मिलता है। जो किसान समय पर कर्ज का भुगतान कर देते हैं, उन्हें ब्याज दर में तीन परसेंट की छूट और दी जाती है। इस तरह समय पर कर्ज चुकाने वाले किसानों के लिए शॉर्ट टर्म क्रॉप लोन मात्र चार परसेंट की दर पर मिलता है। रिपोर्ट में इस पर भी चिंता जताई गई है कि शॉर्ट टर्म क्रॉप लोन के तहत सस्ता ऋण मिलने के बावजूद कृषि क्षेत्र में निवेश का स्तर नहीं बढ़ पा रहा है।

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