फर्जी हथियार लाइसेंस का जाल फैलाने के मामले में हुआ ये बड़ा खुलासा

जम्मू-कश्मीर और नागालैंड के फर्जी हथियार लाइसेंस का जाल फैलाने के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। फर्जी हथियार लाइसेंस गिरोह के मास्टरमाइंड मोहम्मद उस्मान ने राजस्थान एटीएस की पूछताछ में देश के छह राज्यों में अपने गिरोह का जाल फैला होने की बात स्वीकारी है। मोहम्मद उस्मान ने पूछताछ में एटीएस अधिकारियों को बताया कि उसने अपने साथियों के साथ मिलकर जम्मू-कश्मीर के डोडा, राजौरी, रियासी, पुंछ और कुपवाड़ा जिलों के प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी हथियार लाइसेंस बनवाए।

पूछताछ में सामने आया कि जम्मू-कश्मीर के स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत से साल 2014 से फर्जी लाइसेंस बनवाने का खेल चल रहा था। इसी तरह से नागालैंड में बने फर्जी हथियार लाइसेंस में भी उसने मुख्य भूमिका निभाई थी। नागालैंड के दीमापुर व कोहिमा जिलों में राजस्थान के चूरू जिले के मूल निवासी भंवरलाल ओझा के साथ मिलकर मोहम्मद उस्मान ने फर्जी हथियार लाइसेंस बनवाए थे। ओझा पिछले चार दशक से नागालैंड में व्यापार कर रहा है। 25 हजार के इनामी मोहम्मद उस्मान को राजस्थान एटीएस ने सोमवार को पकड़ा था।

इस मामले में एटीएस मोहम्मद उस्मान के बेटे जुबेर व मध्य प्रदेश निवासी बहनोई प्यार मोहम्मद व उसके बेटे जाफर सहित 53 लोगों को पहले ही पकड़ चुकी है। मोहम्मद उस्मान से हुई प्रांरभिक पूछताछ में सामने आया कि उसने पूरे देश में फर्जी हथियार बनाने वालों के साथ संपर्क बना रखे थे। वह जिन लोगों के फर्जी लाइसेंस बनवाता था, उन्हें हथियार भी खुद ही दिलाता था। उसने सबसे अधिक हथियार मध्य प्रदेश के देवास निवासी अपने बहनोई प्यार मोहम्मद की दुकान से दिलवाए। इसके बदले वह अपने बहनोई को अन्य हथियार दुकानदारों अथवा देशी हथियार निर्माताओं के मुकाबले अधिक पैसे दिलवाता था।

पिता की मौत के बाद भी चला रहा था दुकान

राजस्थान एटीएस के अतिरिक्त महानिदेशक अनिल पालीवाल ने बताया कि सोमवार को पकड़ा गया गिरोह का मास्टर माइंड मोहम्मद उस्मान अजमेर में आना सागर लिंग रोड़ पर रहता है। उस्मान के पिता वली मोहम्मद की अजमेर में हथियारों की दुकान थी। साल 2003 में वली मोहम्मद की मौत के बाद भी मोहम्मद उस्मान हथियान बेचने लगा था, जो कि गलत था। मोहम्मद उस्मान हथियार लाइसेंस बनवाने वाले व्यक्ति से चार से पांच लाख रुपये लेता था। उसके साथ जम्मू-कश्मीर में तैनात एक आईएएस अधिकारी का भाई कुमार ज्योति रंजन, पंजाब निवासी विशाल आहूजा और जम्मू-कश्मीर निवासी राहुल ग्रोवर ने मिलकर पूरे देश में फर्जी लाइसेंस बनवाकर हथियार सप्लाई करने का जाल फैलाया था।

गिरोह के सदस्य फर्जी सील और दस्तावेजों का उपयोग कर लोगों को जम्मू-कश्मीर का अस्थाई निवासी बताते थे। वहां व्यवसाय भी बताते थे, जिनके आधार पर फर्जी लाइसेंस बनाते थे। लाइसेंस बनवाते समय स्थानीय पुलिस थाने में वेरिफिकेशन नहीं कराते थे। सिविल लोगों को सेना और बीएसएफ में बताकर वर्दी में फोटो लेकर पिछली तारीख में लाइसेंस बनवाए जाते थे। पालीवाल ने बताया कि कानूनी प्रक्रिया के तहत आगे की कार्रवाई की जाएगी ।

एटीएस ने चलाया था ऑपरेशन जुबैदा

राजस्थान पुलिस में अतिरिक्त महानिदेशक उमेश मिश्रा को इंटेलिजेंस से सूचना मिली कि प्रदेश में फर्जी लाइसेंस और हथियार बनाने एवं बेचने को गिरोह संचालित हो रहा है। इस पर उन्होंने मई, 2017 में एटीएस और इंटेलिजेंस के अधिकारियों के साथ मिलकर ऑपरेशन जुबैदा चलाया। ऑपरेशन में कई बड़े खुलासे हुए। इस पर राजस्थान पुलिस ने जम्मू-कश्मीर सहित अन्य राज्यों से संपर्क साधा। इसके बाद राजस्थान पुलिस के आग्रह पर जम्मू-कश्मीर सरकार ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपी थी।

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