फडणवीस ने खोले महाराष्ट्र की राजनीति के कुछ गहरे राज़

फडणवीस ने 23 नवंबर को एनसीपी नेता अजीत पवार के साथ शपथ लेने को लेकर आखिरकार चुप्पी तोड़ी है। दोनों नेताओं को तीन दिन बाद ही अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। देवेंद्र फडणवीस ने पूरे घटनाक्रम के बारे में कहा कि अजीत पवार ने उन्हें राकांपा(एनसीपी)के सभी 54 विधायकों के समर्थन का भरोसा दिया था। उन्होंना बताया कि एनसीपी नेता अजीत पवार उनके पास सरकार बनाने का प्रस्ताव लेकर आए थे।

महाराष्ट्र की राजनीति में लंबे समय से दबे गहरे राज़ को खोलते हुए फडणवीस ने बताया कि अजीत पवार ने मेरी कुछ विधायकों से बात कराई थी, जिन्होंने कहा था कि वे भाजपा के साथजाना चाहते हैं। इसके अलावा उन्होंने खुद कहा था कि उनकी शरद पवार से भी इस संबंध में बात हुई है।

फडणवीस ने आगे कहा कि अजीत पवार ने हमसे संपर्क किया और कहा कि राकांपा(एनसीपी)कांग्रेस के साथ नहीं जाना चाहती।तीन पार्टियों की सरकार को नहीं चलाया जा सकता। हम स्थिर सरकार के लिए भाजपा के साथ जाने को तैयार हैं। भाजपा नेता ने स्वीकार किया कि उनका यह कदम उलटा पड़ गया, हालांकि उन्होंने कहा कि पूरे घटनाक्रम और पर्दे के पीछे की कहानी अगले कुछ दिनों में सामने आएगी।

सरकार के फैसलों में कांग्रेस की बात भी सुनी जानी चाहिए: चव्हाण

इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने शनिवार को कहा कि प्रदेश की गठबंधन सरकार को फैसले लेने के दौरान उनकी पार्टी की भी बात सुननी चाहिए। उन्होंने कहा कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में जिन तीन पार्टियों ने मिलकर गठबंधन सरकार बनाई है, उनमें संतुलन बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि तीनों पार्टियां न्यूनतम साझा कार्यक्रम के तहत साथ आई हैं और देश के संविधान से बंधी हुई हैं। इस पर कोई समझौता नहीं होगा।

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