प्लॉट आवंटन केस में हुड्डा की बढ़ीं मुश्किलें, गवर्नर ने चार्जशीट दाखिल करने की दी मंजूरी

नेशनल हेराल्ड के स्वामित्व वाली एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) को प्लॉट दोबारा आवंटित करने के मामले में भूपेंद्र सिंह हुड्डा की मुश्किलें बढ़ गई हैं। बता दें कि विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री होने के कारण मामले में चार्जशीट के लिए राज्यपाल की अनुमति लेना आवश्यक था। अब चार्जशीट के लिए राज्यपाल की ओर से मंजूरी मिलने के बाद भूपेंद्र सिंह हुड्डा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।प्लॉट आवंटन केस में हुड्डा की बढ़ीं मुश्किलें, गवर्नर ने चार्जशीट दाखिल करने की दी मंजूरी

नेशनल हेराल्ड की सहयोगी एजेएल को प्लॉट आवंटन मामले में राज्यपाल की अनुमति पर पूर्व सीएम भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने सफाई दी है। उन्होंने कहा कि मैंने कोई गलत काम नहीं किया और आवंटन कानून के अनुसार किया गया था। मेरे खिलाफ राजनीतिक साजिश चल रही है।
यह है मामला

एजेएल को प्लॉट आवंटित करने का मामला 1982 का है। 24 अगस्त 1982 को पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल ने पंचकूला के सेक्टर-6 में एजेएल को 3360 वर्ग मीटर का प्लॉट आवंटित किया था। 30 अगस्त 1982 तक कब्जा लेकर छह माह के भीतर निर्माण शुरू करने और दो साल में पूरा करने के निर्देश थे। ऐसा न होने पर 30 अक्तूबर 1992 को प्लॉट रिज्यूम हो गया और 10 नवंबर 1995 को हुडा ने वापस कब्जा ले लिया।

भूपेंद्र हुड्डा के मुख्यमंत्री बनने के बाद 14 मई 2005 को एजेएल की ओर से आबिद हुसैन ने प्लॉट के पुन: आवंटन का अनुरोध सरकार से किया। भूपेंद्र हुड्डा तब हुडा के चेयरमैन थे। एलआर ने सरकार को राय दी कि प्लॉट का पुन: आवंटन नहीं हो सकता, लेकिन 18 अगस्त 2005 को नियमों में छूट देते हुए 1982 में आवंटित रेट पर ही इस प्लॉट को दोबारा कंपनी को दे दिया गया।

स्टेट विजिलेंस ब्यूरो ने अपनी जांच रिपोर्ट में 62 लाख रुपये की वित्तीय हानि बताई है, पर प्लॉट की कीमत तब करीब 22 करोड़ रुपये आंकी गई थी। इसका आवंटन लगभग 59 लाख रुपये में हुआ। 

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