प्रोडक्ट को ‘जहरीला’ बनाने वाली ये चीजें होंगी बैन, अब मिलेगा शुद्ध खाना

कोई भी फूड प्रोडक्ट जो आप खा रहे हैं, उसकी शुद्धता इस पर बात पर निर्भर करती है कि उसकी पैकिंग कैसी है? फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया के एक सर्वे के मुताबिक कई प्रोडक्ट की पैकिंग सही नहीं होती. 80 फीसदी रंगीन पैकेटों, 59 फीसदी काले कैरीबैग, 24 फीसदी एल्युमिनियम कोटेड डिस्पोजेबल कंटेनर्स में खतरनाक कैमिकल होता है. ये केमिकल हमारी सेहत के लिए खतरनाक होता है. लेकिन नए साल में इन चीजों से मुक्ति मिल सकती है. नए साल में एक जनवरी से दाल, ऑर्गेनिक फूड. शहद, चने, दलहन आदि फूड प्रोडक्ट की लेबलिंग और सर्टिफिकेशन पर नए नियम लागू हो गए हैं. ये करीब 28 स्टैंडर्ड हैं जिन्हें 2018 में तैयार किया गया था. 

क्या होंगे मुख्य बदलाव?

मल्टीलेयर पैकिंग

नए नियमों में साफ लिखा होगा कि पैकेजिंग के लिए किन चीजों का इस्तेमाल होगा. साथ ही नए मल्टीलेयर पैकेजिंग की व्यवस्था होगी ताकि खाने की चीजें सीधे पैकेट के टच में न आ सकें. इसके अलावा सेहत का ध्यान रखने के लिए प्रिंटिंग इंक का भी खास ध्यान रखा जाएगा. न्यूज पेपर या किसी भी प्रकार से लिखे हुए कागज से कुछ भी पैक करना गलत होगा. नए नियम के तहत सस्ते और घटिया किस्म के उत्पाद पैकिंग में इस्तेमाल नहीं होंगे. मिनरल वाटर या पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर ट्रांसपेरेंट, कलरलेस डिब्बे में ही पैक होंगे. 

रीसाइकल प्लास्टिक का इस्तेमाल होगा बैन

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मौजूदा नियमों के मुताबिक पैकेजिंग के लिए एल्यूमिनियम, कॉपर, प्लास्टिक और टिन का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन अब खाने-पीने की चीजों की पैकेजिंग में शरीर को हानि पहुंचाने वाली चीजों का इस्तेमाल नहीं होगा. अब जिस रैपर या डिब्बे में आपका खाना पैक होगा, उसमें हानिकारक तत्व हैं या नहीं इसकी मात्रा तय होगा. साथ ही रीसाइकल किया गया प्लास्टिक पैकिंग में प्रयोग नहीं होगा. 

फूड पैकेजिंग को तीन हिस्सों में बांटा गया

अभी BIS के पास पैकेजिंग के नियम थे. लेकिन अब FSSAI के नियम अनिवार्य होंगे. ये तीन हिस्से में होंगे पैकेजिंग, लेबलिंग और क्लेम एंड एडवरटाइजमेंट. जो इन तीन नियमों को तोड़ेगा उन पर कार्रवाई होगी.  

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