प्रशासन केंद्र सरकार से कर्ज लेकर बिजली खरीद की देनदारी को चुकता करेगा जम्मू-कश्मीर,4580 करोड़ रूपये का देगा ऋण

जम्मू-कश्मीर प्रशासन केंद्र सरकार से कर्ज लेकर बिजली खरीद की देनदारी को चुकता करेगा। केंद्र सरकार ने इसकी मंजूरी भी दे दी है। आत्मनिर्भर भारत अभियान पैकेज के तहत केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर को 4580 करोड़ रूपये का ऋण देगा। यह विशेष दीर्घकालीन ऋण (स्पेशल लांग टर्म लोन) होगा जो जम्मू-कश्मीर प्रशासन को 10 सालों लौटाना होगा।

विभाग से मिली जानकारी के अनुसार पावर फाइनेंस कारपोरेशन (पीएफसी) और रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कारपोरेशन (आरईसी) ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल जीसी मुर्मू के कहने पर जम्मू पावर डिस्ट्रीब्यूशन कारपोरेशन लिमिटेड और श्रीनगर पावर डिस्ट्रीब्यूशन कारपोरेशन लिमिटेड को बराबर-बराबर 2290 करोड़ रूपये देना मंजूर कर लिए हैं ताकि वह बिजली बेचने वाली कंपनियों की देनदारी चुकता कर सकें। आपको जानकारी हो कि जम्मू-कश्मीर में बिजली की मांग को पूरा करने के लिए प्रशासन नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन लिमिटेड (एनटीपीसी), नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन (एनएचपीसी) सहित अन्य कुछ अन्य कंपनियों से बिजली खरीदता है।

यह देनदारी कोई एक साल से नहीं है। केंद्र शासित प्रदेश बनने से पहले जब जम्मू-कश्मीर के पास राज्य का दर्जा हुआ करता था, तब से यह देनदारी चली आ रही है। एनटीपीसी, एनएचपीसी ही नहीं जम्मू-कश्मीर प्रशासन पर प्रदेश की अपनी जम्मू-कश्मीर पावर डेवलपमेंट कारपोरेशन (जेकेपीडीसी) की भी देनदारी है। प्रदेश की पनबिजली परियोजनाओं की देखरेख व बिजली की खरीद-फरोख्त जेकेपीडीसी ही संभालता है। देनदारी समय पर न चुकाने की वजह से एनटीपीसी और एनएचपीसी कई बार राज्य को बिजली देने से इंकार भी कर चुका है।

यह ऋण आत्मनिर्भर भारत अभियान पैकेज का हिस्सा है। यह पैकेज हाल ही में भारत सरकार ने देश में कोरोन महामारी के प्रकोप के बाद अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने के लिए शुरू किया था। इस पैकेज के तहत केंद्र सरकार ने बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) की सहायता के लिए 90000 करोड़ रुपये के वित्तीय पैकेज का आवंटन किया है। इसी पैकेज के तहत पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन और रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन ने डिस्कॉम के लिए यह 10 साल तक के विशेष दीर्घकालिक ऋण को मंजूर किया है। 10 वर्षीय के इस ऋण में प्रशासन को तीन वर्ष तक कर्ज की किश्त न देने की छूट भी होगी। यही नहीं उन्हें यह ऋण 84 ईएमआइ (समान मासिक किस्तों) में चुकाना है।

बिजली निगम की साल दर साल बढ़ती देनदारी प्रशासन के लिए परेशानी का सबब बन चुकी है। इस पर कोरोना महामारी के कारण निगम का राजस्व वसूली अभियान भी तोड़ नहीं चढ़ पाया। हर साल की तरह इस साल भी निगम निर्धारित लक्ष्य से कोसो दूर रहा। केंद्र सरकार ने पैकेज को ऐसे समय में मंजूरी दी है जब केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर बिजली उत्पादन और ट्रांसमिशन कंपनियों की देनदारी न चुका पाने के लिए बुरे दौर से गुजर रहा था। ये कंपनियां पिछले कई महीनों से प्रशासन पर देनदारी को चुकता करने का दबाव बना रही थी।

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