प्रदेश सरकार बेनामी संपत्ति रखने वालों पर कसा शिकंजा, सरकार बनाएगी कानून

प्रदेश सरकार बेनामी संपत्ति रखने वालों पर शिकंजा कसने जा रही है। इसके लिए सरकार कानून बनाएगी। रविवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि बेनामी संपत्ति को जब्त करने के लिए कठोर कानून बनाया जाएगा ताकि प्रदेश में कोई भी भ्रष्टाचारी पनप न सके। बालावाला में आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में जल्दी ही बेनामी संपत्ति पर कानून लाकर सभी बेनामी संपत्तियों को जब्त किया जाएगा। जब्त बेनामी सम्पत्ति का उपयोग स्कूल, अस्पताल निर्माण जैसे जनहित कार्यो में किया जाएगा।

गौरतलब है कि वर्ष 2006 में केंद्र सरकार ने बेनामी लेनदेन (निषेध) संशोधन एक्ट बनाया था। इसके जरिये बेनामी लेनदेन एक्ट 1988 में संशोधन कर इसे और मजबूत बनाया गया। एक्ट के तहत बेनामी संपत्ति के लेनदेन पर रोक है और बेनामी संपत्तियों को जब्त किया जा सकता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ हम सबको धर्मयुद्ध की तरह लड़ना होगा। किसी भ्रष्टाचारी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, चाहे वह कोई भी हो या कितना ही रसूखदार क्यों न हो। उन्होंने कहा कि हमारा हमेशा प्रयास रहा है कि सरकार अपनी संस्कृति को बढ़ावा देने वाली, विकास के लिए काम करने वाली तथा भ्रष्टाचार मुक्त हो। आज इस दिशा में सरकार काफी मजबूती से कार्य कर रही है। आज हम पूर्ण विश्वास से कह सकते हैं कि हमारी सरकार पूर्ण भ्रष्टाचार मुक्त है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए कई कदम उठाए हैं। भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध कार्यवाही की गई है। हमने संकल्प लिया है कि हम हर क्षेत्र में भेदभाव रहित तथा भ्रष्टाचार मुक्त विकास करेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने कई प्रोजेक्ट के संशोधित एस्टीमेट बनवाकर करोड़ों रुपये बचाए।

उत्तराखंड में औद्योगिक निवेश पर मुख्यमंत्री ने कहा कि डेस्टिनेशन उत्तराखंड के बाद महज 10 महीने में 16 हजार करोड़ रुपये का निवेश आ चुका है। इससे 40 हजार युवाओं को रोजगार मिलेगा। राज्य बनने के बाद 17 सालों में 40 हजार करोड़ का निवेश हुआ था। वह भी तब जबकि औद्योगिक पैकेज में टैक्स छूट सहित तमाम तरह की सहूलियत दी गई। हमारी सरकार ने पहली बार डेस्टिनेशन उत्तराखंड का आयोजन किया और नई नीतिया बनाई। इसका परिणाम इतनी बड़ी संख्या में निवेश के रूप में सामने आया है।

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