पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमत से ये लोग हो रहे है मालामाल

पेट्रोल और डीजल केंद्र और राज्य दोनों के लिए कर राजस्व के बड़े स्रोत हैं. केंद्र सरकार पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क, सीमा शुल्क और सेस लगाती है. राज्यों के लिए पेट्रोल-डीजल से मुख्य कमाई का स्रोत उत्पाद शुल्क (एक्साइज ड्यूटी) अथवा वैल्यू एडेड टैक्स (VAT) है. फिलहाल पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 19.48 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 15.33 रुपये प्रति लीटर है. 

मोदी सरकार अब तक पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क में नौ बार बढ़त कर चुकी है और सिर्फ एक बार पिछले साल बस 2 रुपये प्रति लीटर की कटौती की गई थी. केंद्र सरकार ने पेट्रोलियम उत्पादों पर बिक्री कर से 4.6 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई की है, साल 2016-17 में 2.42 लाख करोड़ रुपये की और 2017-18 में 2.29 लाख करोड़ रुपये की कमाई.

कच्चे तेल पर किसी तरह का सीमा शुल्क नहीं लगाया जाता, लेकिन पेट्रोल और डीजल पर 2.5 फीसदी का सीमा शुल्क लगाया जाता है. इसके अलावा, कच्चे पेट्रोलियम पर 20 फीसदी का ऑयल इंडस्ट्री डेवलपमेंट सेस और 50 रुपये प्रति मीट्रिक टन का राष्ट्रीय आपदा आकस्मिक कर (NCCD) लगाया जाता है. 

कच्चा तेल भारत के सबसे बड़े आयात में शामिल है, इसलिए इस तरह के टैक्स लगाने से सरकार को भारी राजस्व हासिल होता है.  इसके अलावा पेट्रोल-डीजल पर राज्य वैट लगाते हैं जो हर राज्य में अलग-अलग होता है. यही नहीं, उत्पाद शुल्क के विपरीत वैट निश्चित नहीं बल्कि ऐड वलोरम होता है, यानी जब कीमतें बढ़ती है तो उसी के मुताबिक वैट राशि भी बढ़ जाती है और इस तरह राज्यों की कमाई भी बढ़ जाती है.

Back to top button