पूर्व पुलिस महानिरीक्षक फारूक खान को राज्यपाल सत्यपाल मलिक का सलाहकार किया नियुक्त…

राज्य में आतंकवाद की कमर तोड़ने में अहम भूमिका निभाने वाले पूर्व पुलिस महानिरीक्षक फारूक खान लगभग तीन साल तक लक्ष्यद्वीप में अपनी सेवाएं देने के बाद एक नयी भूमिका निभाने के लिए शनिवार को अपने गृह प्रदेश में लौट आए। उन्हें राज्यपाल सत्यपाल मलिक का सलाहकार नियुक्त किया गया है। वह राज्य में विभिन्न मामलों के अलावा सुरक्षा संबंधी मामलों में राज्यपाल के मुख्य सलाहकार की भूमिका का निर्वाह करेंगे। वह संभवत: सोमवार को अपना कार्यभार संभालेंगे।

जम्मू निवासी पूर्व पुलिस अधिकारी फारूक खान वर्ष 2013 में सेवानिवृत्त होने के बाद वर्ष 2014 में भाजपा में शामिल हो गए थे। अगस्त 2016 में उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लक्ष्यद्वीप का प्रशासक नियुक्त किया था, लेकिन गत रोज उन्होंने लक्ष्यद्वीप के प्रशासक के पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने यह कदम राज्य में अलकायदा व आइएसआइएस जैसे खूंखार आतंंकी संगठनों की आमद के मद्देनजर केंद्र सरकार द्वारा उनकी सेवाओं को जम्मू कश्मीर में इस्तेमाल किए जाने की इच्छा जताए जाने पर उठाया। शनिवार देर शाम गए राज्य महाप्रशासनिक विभाग के सचिव फारूक अहमद लोन ने एक आदेश जारी कर फारूक खान को राज्यपाल सत्यपाल मलिक का सलाहकार बनाए जाने की पुष्टि की।

हजरतबल दरगाह को आतंकियों से कराया था मुक्त 

1984 बैच के राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी फारूक खान को 1994 में आइपीएस कैडर मिला था। उन्होंने जम्मू कश्मीर में आतंकवाद की कमर तोडऩे वाले राज्य पुलिस विशेष अभियान दल (एसओजी) का गठन करने में अहम भूमिका निभाई थी। वह एसओजी के पहले एसपी रहे हैं। उन्होंने आतंकवाद को कुचलने और राज्य पुलिस को आतंकवाद के खिलाफ एक मजबूत बल के रूप में खड़ा करने में अहम भूमिका निभाई थी। 1996 में जब श्रीनगर में आतंकियों ने हजरतबल दरगाह पर कब्जा कर लिया था, उस समय उन्होंने आतंकियों को वहां से खदेडऩे में उल्लेखनीय भूमिका निभाई थी। उन्हें राष्ट्रपति वीरता पुरस्कार समेत कई सम्मान मिले हैं।

फारूक खान को इसलिए लाया जा रहा कश्मीर 

सूत्रों की मानें तो केंद्र के तमाम प्रयासों के बावजूद कश्मीर में स्थानीय युवकों की आतंकी संगठनों की भर्ती में कमी न आने और अलकायदा और आइएस जैसे संगठनों के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए केंद्र ने फारूक खान की सेवाएं जम्मू कश्मीर में लेने का फैसला किया है। फारूक खान को आतंकरोधी अभियानों के संचालन, उनकी रणनीति तैयार करने और स्थानीय परिस्थितियों की पूरी समझ है। इसके अलावा वह राज्य पुलिस कैडर में भी अच्छी छवि रखते हैं।

महाराजा हरि सिंह की फौज में कर्नल थे फारूक के दादा 

फारूक खान के दादा पीर मोहम्मद खान राज्य के अंतिम डोगरा शासक महाराजा हरि सिंह की फौज में कर्नल थे। कर्नल पीर मोहम्मद जनसंघ के प्रदेशाध्यक्ष भी रह चुके हैं। वह सांसद भी रहे। फारूक खान के पिता सरवर खान भी राज्य पुलिस के तेज तर्रार अधिकारियों में एक थे।

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