पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने BCCI के अध्यक्ष के तौर पर मिलने वाली सारी चुनौतियों को किया स्वीकार

तीन अक्टूबर साल 2000, आइसीसी चैंपियंस ट्रॉफी। यहां से पहली बार सौरव गांगुली ने भारतीय क्रिकेट के खोए वजूद को वापस दिलाने की कारीगरी शुरू की। पिछले छह महीने मैच फिक्सिंग की वजह से भारतीय क्रिकेट की जमीन उखाड़ फेंक देने वाले थे। 19 वर्ष के बाद एक बार फिर गांगुली को अपनी कारीगरी दिखानी है। इस बार अध्यक्ष पद पर बैठकर बीसीसीआइ के खोए वजूद को वापस दिलाना है।

…और फिर बदल दिए थे हालात

फिक्सिंग प्रकरण के बाद पहली बार गांगुली की कप्तानी में भारतीय टीम किसी आइसीसी टूर्नामेंट में उतरी थी। इस नॉकआउट टूर्नामेंट के फाइनल तक का सफर तय करके गांगुली टीम इंडिया के एक नए यौद्धा के रूप में सामने आए थे। फाइनल में न्यूजीलैंड से जरूर हारे, लेकिन करोड़ों क्रिकेट प्रशंसकों के दिलों की चोट को भरने में भारतीय टीम कामयाब रही थी।

मनवाया अपनी कप्तानी का लोहा

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत में खेली गई टेस्ट सीरीज हो या फिर साल 2000 में श्रीलंका में खेली गई चैंपियंस ट्रॉफी। गांगुली की कप्तानी ने भारतीय क्रिकेट के लिए नए रास्ते खोल दिए थे। हरभजन सिंह, जहीर खान, युवराज सिंह, मुहम्मद कैफ जैसी युवा फौज को तैयार करके गांगुली चमत्कार करते जा रहे थे।

2002 नेटवेस्ट ट्रॉफी के फाइनल में भारत की जीत ने भारतीय युवा खिलाडि़यों के दिलों दिमाग में एक सुनहरी छाप छोड़ी। खुद गांगुली का लॉ‌र्ड्स की बालकनी में टी-शर्ट लहराना दिखा रहा था कि यह कप्तान मुंह बंद करके सुनने वालों में से नहीं है। 2003 विश्व कप फाइनल तक टीम को पहुंचाना गांगुली की बड़ी उपलब्धियों में से एक है।

बदले हालात नहीं बदले दादा

बीसीसीआइ के लिए ग्रेग चैपल को कोच बनाना खाई में कूदने जैसा हो गया। गांगुली को टीम से बाहर किया गया। चैपल ने खुलेआम गांगुली पर आरोप लगाए। दादा हार नहीं मानने वाले थे। अपने प्रदर्शन से दादा ने वापसी की और शान के साथ 2008 में नागपुर के क्रिकेट मैदान पर क्रिकेट को अलविदा कहा।

क्रिकेट को फिर दादा की जरूरत

सुप्रीम कोर्ट की सख्ती और सीओए की मनमानी के बाद से ही भारतीय बोर्ड चरमरा गया है। एक बार फिर क्रिकेट को दादा की जरूरत है। कप्तान के बाद बीसीसीआइ अध्यक्ष का पद जरूर अलग है, लेकिन उनके सामने चुनौतियां एक जैसी हैं।

बीसीसीआइ के अध्यक्ष पद के लिए निर्विरोध नामांकन करने के बाद सौरव गांगुली ने कहा था कि बीते कुछ साल भारतीय क्रिकेट बोर्ड के लिए इमरजेंसी के दौर के जैसे रहे हैं। अगले कुछ महीने में अपनी टीम के साथ बीसीसीआइ को मजबूत बनाने पर काम किया जाएगा।

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