पूर्वजों की पीड़ा या आशीर्वाद? जानिए पितृ दोष का गूढ़ रहस्य

पितृ दोष की वजह से व्यक्ति को जीवन में कई तरह की समस्या का सामना करना पड़ता है। अगर आप भी इस समस्या से जूझ रहे हैं तो पितृ दोष को दूर करने से विशेष उपाय आजमाएं। ऐसे में आइए ऐस्ट्रॉलजर आनंद सागर पाठक से जानते हैं पितृ दोष (Pitru Dosh) से जुड़े रहस्य के बारे में।

किसी व्यक्ति के निधन के बाद लोग कहते हैं, “ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे।” यह प्रार्थना स्पष्ट रूप से संकेत करती है कि ऐसी लाखों आत्माएं हो सकती हैं जिन्हें शांति नहीं मिली है। सभी आत्माएं किसी न किसी जीवित व्यक्ति के पूर्वज होती हैं। वैदिक ज्योतिष में इन्हें “पितृ” कहा जाता है।

क्या है पितृ दोष?
एक अशांत आत्मा अपने वंशजों के जीवन में अनेक प्रकार की समस्याएं उत्पन्न कर सकती है और ज्योतिष में इसे “पितृ दोष” (pitru dosh mystery) कहा गया है। “बृहद् पराशर होरा शास्त्र” जैसे ज्योतिषीय ग्रंथों में इस विषय पर विशेष उल्लेख हैं। “पुराणों” में भी इस विषय का वर्णन मिलता है। कुंडली में इस दोष की जांच करने की विधियां, इसके प्रभाव तथा परिवार पर पड़ने वाले प्रभाव और इनके निवारण के उपायों का विस्तृत वर्णन ज्योतिषीय ग्रंथों में किया गया है।

पूर्वजों के श्राप के कारण गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं जो इतनी जटिल हो जाती हैं कि डॉक्टर उनका निदान नहीं कर पाते और दवाइयां पूरी तरह निष्क्रिय हो जाती हैं। यह समस्या चिकित्सा विज्ञान की सीमा से बाहर हो जाती है।

असामान्य व्यवहार, बहुत ज्यादा गुस्सा आना, दूसरों को चोट पहुंचा देना, डिप्रेशन, आत्महत्या की सोच, दवा के बाद भी ठीक न होने वाला दर्द, शरीर पर बिना कारण चकत्ते या उल्टी जैसी समस्या ये सब पूर्वजों के श्राप से जुड़ी हो सकती हैं। इनमें से कई परेशानियां बार-बार होती हैं और ग्रहों की चाल से जुड़ी लगती हैं। यह दिखाता है कि कुछ जटिल स्वास्थ्य समस्याएं “पितृ दोष” के कारण हो सकती हैं। ऐसे मामलों में ज्योतिषीय उपाय जरूरी होते हैं। एक मनोचिकित्सक और ज्योतिषी मिलकर इनका हल ढूंढ सकते हैं।

पितृ दोष के उपाय
पूर्वजों से संबंधित समस्याओं के निवारण के उपाय विभिन्न धर्मों में बताए गए हैं। पूर्वज सामान्यतः अपने ही वंशजों को प्रभावित करते हैं। उत्तराधिकारियों के लिए सर्वोत्तम उपाय यह है कि वे दिव्य शक्ति से क्षमा मांगें। क्योंकि पूर्वज भी दिव्य आत्माएं होते हैं। अतः उनसे भी क्षमा याचना करनी चाहिए। हर अशांत आत्मा “मुक्ति” की प्रतीक्षा में होती है। उत्तराधिकारियों को धार्मिक ग्रंथों में बताए गए अनुसार आत्माओं की “मुक्ति” के लिए उपाय करने चाहिए।

माता-पिता एवं बुजुर्गों की निःस्वार्थ सेवा का संकल्प लें। इससे पूर्वजों की कृपा प्राप्त होती है।
जरूरतमंदों को दान करें और अपने सेवकों से अच्छा व्यवहार करें। ये दोनों ही “पितृ दोष” के निवारण के लिए आवश्यक हैं।
भगवान विष्णु की पूजा करें क्योंकि सभी आत्माएं अंततः भगवान विष्णु में विलीन हो जाती हैं। इस विलय को “मुक्ति” कहा जाता है।
किसी “समर्थ सद्गुरु” जैसे “श्री साईंनाथ शिर्डी वाले” की उपासना करें क्योंकि सद्गुरु दिव्यता की ओर मार्गदर्शन करने वाले प्रकाश स्तंभ होते हैं।
किसी निर्धन परिवार की कन्या के विवाह की जिम्मेदारी लें ताकि ईश्वर और पूर्वजों की कृपा प्राप्त हो सके।
धार्मिक ग्रंथों में बताए गए अनुसार पूर्वजों की आत्मा की “मुक्ति” के लिए पूजा-पाठ करवाएं।

समापन
पितृ दोष पूर्वजों की अशांत आत्माओं का संकेत होता है, जो हमारे जीवन में बाधाएं ला सकता है। इसका समाधान करना एक आध्यात्मिक कर्तव्य है। पूजा, सेवा और क्षमा याचना से हम न केवल उनकी मुक्ति में सहायता करते हैं, बल्कि अपने जीवन में भी शांति, समृद्धि और शुभता का मार्ग खोलते हैं।

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