पूरी दुनिया की नजरें भारत के मिशन चंद्रयान-2 पर टिकी, पढ़े पूरी खबर

 पूरी दुनिया की नजरें भारत के मिशन चंद्रयान-2 पर टिकी हैं। अभियान खास इसलिए भी हो जाता है क्योंकि, 22 जुलाई को लांचिंग से पहले शनिवार को चंद्रमा पर मानव के कदम पडऩे की स्वर्ण जयंती होगी। 20 जुलाई 1969, यही वो तारीख थी जब नील आर्मस्ट्रांग ने चंद्रमा की सतह पर पहला कदम रखा। कुछ मिनटों बाद एडविन और बज एल्ड्रिन भी उसकी सतह पर थे। हालांकि, तब तक भारत में सार्वजनिक रूप से चांद सिर्फ किस्से-कहानियों का ही हिस्सा था मगर, वैज्ञानिक आधार की तरफ कदम हमारे भी बढ़ चुके थे। विदेशी वैज्ञानिक चांद से जो धूल उठाकर लाए थे, उसके विश्लेषण में हमारे वैज्ञानिकों ने अहम भूमिका निभाई थी। उन्हीं में एक थे- लखनऊ स्थित बीरबल साहनी पुरा विज्ञान संस्थान (बीएसआइपी) के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. सीएम नौटियाल।

भारत के मिशन चंद्रयान-2 को लेकर डॉ. नौटियाल काफी रोमांचित दिखे। बोले, मानव केचरण कई बार चंद्रमा पर पड़े। अपोलो-12,14,15,16,17 (अपोलो 13 दुर्घटना ग्रस्त हो गया था) से मानव ने चांद से सैकड़ों किलोग्राम चट्टानें और धूल एकत्र की। पराबैंगनी किरणों, अंतरिक्ष एवं अन्य विकिरणों के अध्ययन के लिए उपकरण वहां पर छोड़े। यहां तक कि चीन ने तीन जनवरी को चांग-ई शृंखला का रोबोटिक यान भेजकर वहां हीलियम-3 के खनन की योजना तक बना डाली। दरअसल, हीलियम-3 का नाभिकीय संलयन से ऊर्जा बनाने में  बहुत महत्व है।

 

पहले अभियान में हमारी भागीदारी 

डॉ. नौटियाल बताते हैं, जाने-माने वैज्ञानिक विक्रम साराभाई की अहमदाबाद में स्थापित भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला में काम करने का अवसर मिला। प्रो. देवेंद्र लाल और प्रो. एमएन राव के दल ने अपोलो एवं लूना के अनेक अभियानों में एकत्र चट्टानों एवं धूल के नमूनों का विश्लेषण किया था। इस दल में मैं भी वैज्ञानिक सहकर्मी था। चंद्र धूल और विभिन्न चïट्टानों पर सूर्य किरणों के गुणों, उनके नाभिकीय प्रभावों को समझा था। डॉ. नौटियाल का यह शोध अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में भी प्रकाशित हुआ था।

इसलिए मची चांद की होड़ 

डॉ,. नौटियाल कहते हैं कि एक बार फिर चंद्रमा में रुचि बढ़ी है। भारत, यूरोप, जापान, अमेरिका और चीन सभी चंद्रमा को समझ कर ग्रहों के उद्भव एवं विकास को समझना चाहते हैं। दरअसल, वातावरण एवं चुंबकीय क्षेत्र न होने और प्लेट खिसकने, हवा-पानी से होने वाले जो परिवर्तन पृथ्वी के पुराने रिकॉर्ड नष्ट करते रहे हैं, वे चंद्रमा पर सुरक्षित हैं। जैसे क्रेटर। हालांकि, इतने अध्ययनों केबाद भी अंतिम रूप से अभी कुछ हासिल नहीं हुआ है। यही वजह है कि भारत को चंद्रयान-2 से बहुत अपेक्षाएं हैं।

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