पुलवामा हमले के बाद भारत का सख्त रवैया, पीओके के कारोबार में 50 फीसदी गिरावट

पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर आतंकी हमले के बाद भारत की तरफ से सख्त रवैया अपनाते हुए पाकिस्तान से मोस्ट फेवरेट नेशन का दर्जा वापस ले लिया गया। इसके बाद पीओके की तरफ से भारत में आने वाले सामान पर 200 प्रतिशत कस्टम ड्यूटी लगाई जा रही है।
इससे भारत के साथ होने वाले पाकिस्तानी कारोबार की कमर टूट गई है। चक्कां दा बाग क्रास एलओसी ट्रेडर्स एसोसिएशन के प्रधान पवन आनंद ने बताया कि पाकिस्तान से भारत में आने वाले सामान पर 200 प्रतिशत कस्टम ड्यूटी लगाने के बाद अब कोई भी पाकिस्तानी व्यापारी भारत में सामान भेजने की हिम्मत नहीं कर रहा है।

इतना ही नहीं बाघा बार्डर के साथ ही चक्कां दा बाग की राह-ए-मिलन के रास्ते अपना सामान भारत भेजने वाले उस पार के व्यापारी भी इसके चलते अब बहुत कम सामान भेज रहे हैं।

इसी वजह से वीरवार को पुंछ में चक्का दा बाग के रास्ते जहां भारत से 35 ट्रक पीओके गए, वहीं उस पार से मजह 19 ट्रक सामान ही इस पार आया। इस तरह भारत के साथ पीओके के रास्ते होने वाले पाकिस्तानी कारोबार में करीब 50 प्रतिशत की गिरावट आई है।

आनंद ने बताया कि उस पार पीओके के तेत्रिनोट में 100 से अधिक सामान से लदे पाकिस्तानी ट्रक खड़े हैं। वीरवार को तेत्रिनोट से भी 35 ट्रक सामान आना था, लेकिन अधिकतर ट्रकों में कस्टम ड्यूटी वाला सामान होने से 19 ट्रक ही इस पार आए हैं। इसलिए पुलवामा में आतंकी हमले के बाद भारत के साथ रिश्ते खराब होने से पाकिस्तानी व्यापार की कमर टूटने लगी है।

यह पूछे जाने पर कि कहीं वाघा के रास्ते होने वाला व्यापार चक्कां का बाग की राह-ए-मिलन की तरफ तो रुख नहीं कर लेगा। इस पर पवन आनंद का कहना था कि ऐसा नहीं होगा, क्योंकि एक तो पहले ही पाकिस्तान ने कोहाला सीमा से पाक अधिकृत क्षेत्र में ट्रेड का सामान आने पर रोक लगा रखी है।

इस कारण वाघा की तरफ से होने वाला ट्रेड इस तरफ नहीं आएगा। दूसरा, बाघा से चक्का दा बाग सामान भेजने के बजाय वहां के व्यापारी अंतरराष्ट्रीय बाजार के माध्यम से अपना सामान भारत में भेजने को प्राथमिकता देते हैं।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में 100 प्रतिशत कस्टम ड्यूटी देनी पड़ती है, लेकिन वहां व्यापारियों का पैसा सुरक्षित होता है। क्रास एलओसी ट्रेड, जो बाटर सिस्टम पर आधारित है, यहां पैसा सुरक्षित नहीं है। यहां व्यापारियों का आपस में करोड़ों रुपये का लेन-देन है। ऐसे में अगर यह ट्रेड बंद हो जाता है तो व्यापारियों का पैसा डूब सकता है। इसलिए अंतरराष्ट्रीय सीमा से व्यापार करने वाला कोई भी व्यापारी इस तरफ अपना व्यापार स्थानांतरित नहीं करेगा।

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