परिजनों ने ढांढस बंधाया। समझाया कि विभूति अब देश का हीरो बन गया है। लेकिन पत्नी चाहकर भी खुद को विभूति से जुदा करने को तैयार नहीं थीं।
शहीद मेजर विभूति की मां को जब से पता चला है कि बेटा शहीद हो गया तो उनका रो-रोकर बुरा हाल है। उनका रोना देखकर आसपास खड़े लोगों की आंखें भी नम हो गईं। बुजुर्ग दादी श्रद्धांजलि देने आई तो कुछ समझ ही नहीं पाई। जब उन्हें बताया कि उनका पोता शहीद हो गया है तो वह मायूस हो गई। शाम को जैसे ही शहीद मेजर विभूति का पार्थिव शरीर घर पहुंचा तो उन्हें श्रद्धांजलि देने वालों की भीड़ जुट गई।
इसी दौरान एक युवती अचानक इतनी दुखी हो गई कि वह जोर-जोर से रोने लगी। खुद को संभाल नहीं पाई। थोड़ी देर में बेसुध हो गई। बाद में उसे शहीद के पार्थिव शरीर के पास ले जाया गया तो वह कुछ शांत हुई। शहीद मेजर विभूति ढौंडियाल भगवान हनुमान के परम भक्त थे। वह हर मंगलवार को व्रत रखते थे। उनके दोस्त अफसोस जता रहे हैं कि जिस दिन व्रत रखते थे, उसी दिन उनका अंतिम संस्कार होगा।