पीएम मोदी के ‘आधार प्रोग्राम’ की वर्ल्ड बैंक ने की प्रशंसा, दूसरे देश भी ले रहे हैं रुचि

2009 में शुरु हुए प्रधानमंत्री के डिजिटल प्रोग्राम ‘आधार’ के मुरीद अन्य देश भी हो गए हैं और इस व्यवस्था को लागू करने की योजना बना रहे हैं। इस व्यवस्था की तारीफ वर्ल्ड बैंक ने भी
नई दिल्ली। 12 अंकों वाले डिजिटल पहचान ‘आधार’ सिस्टम की प्रशंसा वर्ल्ड बैंक ने किया है। एक नए इंटरनेट प्लेटफार्म का निर्माण किया जा रहा है। जिसमें 1.1 बिलियन यूजर्स हैं, एक तिहाई भारतीय बैंक इसके जरिए ही लेन देन का कारोबार चला रहे हैं और तो और माइक्रोसॉफ्ट ने इसे स्काइप में एम्बेड कर लिया है।
हर भारतीय का पहचान ‘आधार’
बायोमेट्रिक आइडेंटीफायर प्रोग्राम ‘आधार’ के जरिए भारत में लोन, नौकरी की तलाश, पेंशन और मनी ट्रांसफर को प्रमाणीकृत किया जा रहा है। और पिछले हफ्ते विधानसभा चुनावों में जीत से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस कार्यक्रम को प्रोत्साहन मिल सकता है।
‘आधार’ पर दूसरे देशों की भी नजर
वर्ल्ड बैंक के मुख्य आर्थिक विशेषज्ञ, पॉल रोमर ने कहा, ‘दूसरे देश भी इस तरह के कार्यक्रम को शुरु करने की योजना बना रहे हैं लेकिन रिसर्च से पता चला है कि बेहतर यह है कि एक मानक व्यवस्था विकसित की जाए ताकि लोग अपना आइडी दुनिया के किसी भी कोने में ले जा सकें।‘ रोमर ने कहा, ‘फिनांशल ट्रांजैक्शन जैसी सभी चीजों के लिए यह ‘आधार’ है। यदि यह पूरी दुनिया में लागू हो जाता है तो बेहतर हो जाएगा।‘ दुनिया में स्वास्थ्य और शिक्षा जहां 1.5 बिलियन लोग खुद की पहचान नहीं साबित कर सकते हैं, ऐसे सेवाओं का लाभ लेने के लिए ‘आइडेंटिफिकेशन यानि पहचान’ पहला कदम होगा।
‘आधार’ को समझने भारत आ चुके कई देश
संयुक्त राष्ट्र की सतत विकास का लक्ष्य 2030 तक सभी को वैध पहचान उपलब्ध कराना है। सरकार द्वारा चलाए गए महात्वाकांक्षी प्रोजेक्ट, आधार की शुरुआत 2009 में देश के गरीबों को भुगतान का लक्ष्य किर किया गया था। इंफोसिस के सह-संस्थापक व आधार बनाने वाले आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन नंदन निलेकणि ने बताया, ‘अन्य सरकार भी इस कार्यक्रम में रुचि रखते हैं। तंजानिया, अफगानिस्तान, बांग्लादेश जैसे देशों ने इस सिस्टम के बारे में विचार करने के लिए भारत आए। टेलीकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया के चेयरमैन आर एस शर्मा ने बताया, ‘रूस, मोरक्को, अल्जीरिया और ट्यूनिशिया ने भी आधार के प्रति अपनी रुचि का संकेत दिया।‘
सिस्टम को जानने की है चाहत
देश के लिए डिजिटल दुनिया के रास्ते खोलने वाले और आधार प्रोजेक्ट के कर्ताधर्ता रहे नंदन नीलेकणि निलेकणि ने आगे बताया, ‘ये सब अपने देश में इसे कैसे शुरू कर सकते हैं यह जानने के इच्छुक हैं। यह इस बात का बड़ा उदाहरण है कि सर्वाधिक आधुनिक डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण और प्रत्येक नागरिक को आसानी से उपलब्ध कैसे कराया जा सकता है।‘ अपने वर्ल्ड डेवलपमेंट रिपोर्ट 2016 में वर्ल्ड बैंक ने बताया, जटिल सूचना समस्याओं पर सफलतापूर्वक नियंत्रण कर भारत के ‘आधार’ जैसे डिजिटल आइडेंटिफिकेशन सिस्टम गरीबों की मदद करने में सरकार का साथ दे रहा है।
कैसे काम करता है आधार
यूनिक 12 अंकों वाली संख्या भारत निवासी को दिया जाता है जिसे फिंगरप्रिंट और आंखों की स्कैनिंग सेंट्रल डाटाबेस में जमा होता है। यदि कोई बैंक अकाउंट खोलना चाहता है या मोबाइल सिम कार्ड खरीदना चाहता है उन्हें अपना आधार नंबर और स्कैनर पर फिंगर प्रिंट देना होता है। इसके बाद बैंक आधार डाटाबेस से इन सूचनाओं को वेरिफाई करने को कहता है।