पिता के संघर्ष के बीच बेटा बना IAS, कुछ ऐसी हैं प्रदीप सिंह के IAS बनने की कहानी…

यूपीएससी का रिजल्ट मंगलवार को घोष‍ित कर दिया गया. देश की टॉप परीक्षाओं में से एक इस परीक्षा में प्रदीप सिंह ने ऑल इंडिया रैंक वन हासिल की है. इसी लिस्ट में 26वें स्थान पर भी एक नाम प्रदीप सिंह का है. आईआरएस अफसर के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहे इस प्रदीप सिंह ने भी अपने पिता और परिवार का मान बढ़ाया है. आइए जानते हैं प्रदीप सिंह के संघर्ष और सफल होने की कहानी.

प्रदीप सिंह ने CSE 2018 में ऑल इंडिया रैंक

AIR 93 हासिल की थी. 22 साल के प्रदीप ने पहले ही प्रयास में ये परीक्षा पास की थी. पास होने के बाद प्रदीप ने एक इंटरव्यू में कहा था कि मैंने जितना संघर्ष अपने जीवन में किया है, उससे कहीं ज्यादा संघर्ष मेरे-माता पिता ने किया है.

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बता दें प्रदीप सिंह के पिता पेट्रोल पंप पर काम करते हैं. प्रदीप का सपना बड़ा था. ऐसे में उन्होंने दिल्ली आने का फैसला किया. वह  2017 में जून के महीने में दिल्ली आए थे, जहां उन्होंने वाजीराव कोचिंग ज्वॉइन की.

प्रदीप का कहना है कि आर्थिक रूप से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा, लेकिन उनके माता – पिता ने ये सब उनकी पढ़ाई के बीच में नहीं आने दिया. प्रदीप ने बताया कि उनके घर में पैसों की काफी दिक्कतें थीं, लेकिन मेरे माता- पिता का जज्बा मुझसे कहीं ज्यादा ऊपर था.

न्यूज एंजेंसी ANI को प्रदीप के पिता ने कहा था कि “मैं इंदौर में एक पेट्रोल पंप पर काम करता हूं. मैं हमेशा अपने बच्चों को शिक्षित करना चाहता था ताकि वे जीवन में अच्छा कर सकें. प्रदीप ने बताया कि वह यूपीएससी की परीक्षा देना चाहते हैं, मेरे पास पैसे की कमी थी. ऐसे में मैंने अपने बेटे की पढ़ाई की खातिर अपना घर बेच दिया. उस दौरान मेरे परिवार को काफी संघर्ष करना पड़ा था. लेकिन आज मैं बेटे की सफलता से खुश हूं.”

प्रदीप ने एक मीडिया चैनल को इंटरव्यू देते हुए कहा था कि उनकी कोचिंग की फीस करीब 1.5 लाख रुपये थी. इसी के साथ ऊपर का खर्चा अलग था. मेरी पढ़ाई में किसी भी प्रकार की बाधा न आए. इसके लिए पिताजी ने घर बेच दिया.

प्रदीप ने बताया कि- मेरे पिताजी की जीवन भर की संपत्ति उनका इंदौर का मकान था. लेकिन मेरी पढ़ाई की खातिर उसे बेच दिया और एक क्षण भी ये नहीं सोचा कि ऐसा क्यों कर रहा हूं. उन्होंने कहा जब मुझे इस बारे में मालूम चला तो मेरा मेहनत करने का जज्बा डबल हो गया. पिता जी के इस त्याग ने मुझे और सक्षम बना दिया. और मैंने ठान लिया कि ये यूपीएसई की परीक्षा हर हाल में पास करनी है.

बता दें, उनके पिताजी इंदौर में निरंजनपुर देवास नगर के डायमंड पेट्रोल पंप पर काम करते हैं. उनकी मां हाउस वाइफ और उनके भाई प्राइवेट सेक्टर में काम करते हैं. उन्होंने बताया तीनों  मेरी हर मुश्किल में प्रोटेक्शन वॉल की तरह खड़े रहे. उन्होंने बताया कि पापा और भाई ने मेरी पढ़ाई का काफी ख्याल रखा. जब मेरी यूपीएसई की मेंस परीक्षा चल रही थी उस दौरान मेरी मां अस्पताल में एडमिट थी. लेकिन इस बात की जानकारी मुझे नहीं दी गई. ताकि मैं किसी भी तरह से टेंशन ना लूं, जिसका असर मेरी पढ़ाई पर ना पड़े. प्रदीप ने बताया पिता ने घर ही नहीं बल्कि गांव की बिहार के गोपालगंज की पुश्तैनी जमीन भी मेरी पढ़ाई की खातिर बेच दी ताकि दिल्ली में मुझे किसी भी तरह से पैसों की दिक्कत ना हो. बता दें, प्रदीप का जन्म बिहार में हुआ था, जिसके बाद वह इंदौर शिफ्ट हो गए थे.


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