पार्टी की बुरी हालत के कारण विधायक अपने सियासी भविष्‍य की खातिर पार्टी से हो रहे अलग….

इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला के पारिवारिक विवाद का असर पार्टी विधायक अपने राजनीतिक करियर पर नहीं पडऩे देना चाह रहे। यही वजह है कि इनेलो विधायक लगातार पार्टी छोड़कर अपना राजनीतिक भविष्य सुरक्षित करने में जुटे हैं। हालात यह है कि इनेलो में अब अभय समेत मात्र पांच विधायक बाकी बचे हैं, जो इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला के साथ खड़े हैं। इनमें से भी कुछ विधायकों के टूटकर दूसरे दलों में जाने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता।

चौटाला के पारिवारिक विवाद में अपना करियर सुरक्षित मानकर नहीं चल रहे एमएलए

पिछले 2014 के विधानसभा चुनाव में इनेलो के 19 विधायक चुनकर आए थे। तब कांग्रेस विधायकों की संख्या मात्र 15 थी। विपक्ष के नेता का पद भी इनेलो के खाते में गया था, लेकिन 2019 के आम चुनाव से पहले जिस तरह इनेलो में भगदड़ मची, उसके मद्देनजर न केवल इनेलो के हाथ से विपक्ष के नेता का पद छिन गया, बल्कि पार्टी के गैैर विधायक नेता भी दूसरे दलों खासकर भाजपा में अपना भविष्य तलाश रहे हैं।

पार्टी में जब भी ऐसा संकट आया, चौटाला और अभय ने मिलकर संभाला स्थिति को

इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला और अजय सिंह चौटाला के जेल जाने के बाद अभय सिंह चौटाला ने जिस चुनौती के साथ पार्टी को खड़ा किया था, उसी तरह की चुनौती अभय सिंह के सामने एक बार फिर खड़ी हो गई है। इनेलो में बिखराव व जननायक जनता पार्टी के गठन के बाद अभय की यह चुनौती काफी बढ़ी है। इनेलो के विधायक जिस तरह से लगातार भाजपा में शामिल हो रहे, उन्हें देखकर पार्टी कार्यकर्ता भी असमंजस में हैं। हालांकि कुछ लोग भाजपा में इनेलो विधायकों की एंट्री को अभय सिंह चौटाला की रणनीति से भी जोड़कर देख रहे हैं।

इनेलो ने ऐसा खराब दौर पहली बार नहीं देखा है। कई दौर ऐसे आए, जब पार्टी खत्म होती दिखाई दी, मगर देवीलाल, ओमप्रकाश चौटाला और फिर अभय सिंह ने पार्टी को नए सिरे से खड़ा कर दिया। इनेलो के 19 विधायकों की अगर बात करें तो पिहोवा के विधायक जसविंद्र सिंह संधू और जींद के विधायक डा. हरिचंद मिढा का देेहावसान हो चुका है। चार विधायक नैना सिंह चौटाला, नरवाना के विधायक पिरथी नंबरदार, उकलाना के विधायक अनूप धानक और दादरी के विधायक राजदीप फौगाट पूर्व सांसद दुष्यंत चौटाला के नेतृत्व वाली जननायक जनता पार्टी के साथ जुड़े हैं। अभय चौटाला ने इन चारों विधायकों की सदस्यता दलबदल कानून के तहत रद कराने के लिए स्पीकर के पास आवेदन दिला रखा है।


फरीदाबाद एनआइटी के विधायक नगेंद्र भड़ाना चुनाव जीतने के बाद से भाजपा के साथ हैं। रानियां के विधायक रामचंद्र कांबोज ने रविवार को ही पार्टी छोड़ी है, लेकिन अभी तक किसी दल में जाने का मन नहीं बनाया है। फिरोजपुर झिरका के विधायक नसीम अहमद कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। जुलाना के विधायक परमिंदर सिंह ढुल, फतेहाबाद के विधायक बलवान सिंह दौलतपुरिया, नलवा के विधायक रणबीर गंगवा, नूंह के विधायक जाकिर हुसैन तथा हथीन के विधायक केहर सिंह रावत पिछले दिनों भाजपा का दामन थाम चुके हैं।

ऐलनाबाद के विधायक अभय सिंह चौटाला के साथ अब रतिया के विधायक प्रो. रवींद्र बलियाला, सिरसा के विधायक मक्खन सिंगला, बरवाला के विधायक वेद नारंग और लोहारू के विधायक ओमप्रकाश बारवा ही खड़े दिखाई दे रहे हैं। इनमें भी प्रो. रवींद्र बलियाला की भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला से पूर्व में मुलाकात हो चुकी है।

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”सत्ता की भूख बहुत बड़ी और ज्यादा होती है। सत्ता की भूख के कारण ही ये विधायक पार्टी छोड़ रहे हैं। उन्हें यह कतई भी अहसास नहीं है कि जिस पार्टी और ओमप्रकाश चौटाला ने उन्हें राजनीतिक जीवन दिया, उनके साथ खड़े रहने का यही उचित और वाजिब समय है। जुगाड़ के जरिये ये लोग दूसरे दलों में जाकर टिकट पाना चाहते हैं। सोचो कि अगर टिकट नहीं मिले तो कहां जाएंगे। इनेलो को अपने काडर और वर्कर पर पूरा भरोसा है। उनमें जोश और उत्साह है। बाकी सब ओमप्रकाश चौटाला और अभय सिंह चौटाला संभाल लेंगे।

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