पापों को हरने वाली ‘जयन्ती’ योग में मनेगी जन्माष्टमी…

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को धूमधाम से मनाने की तैयारियां देशभर के मंदिरों में शुरू हो गई हैं। जन्माष्टमी 23 अगस्त को है या 24 अगस्त को, इस बारे में स्पष्टता की जरूरत है। जन्माष्टमी मनाने को लेकर लोगों में तारीखों को लेकर स्पष्टता नहीं है। ऐसे में ज्योतिषाचार्य पं गणेश प्रसाद मिश्र बता रहे हैं कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी किस तारीख को मनानी है। गृहस्थों के लिए जन्माष्टमी की तारीख अलग है और वैष्णव संप्रदाय के लोगों के लिए जन्माष्टमी की तारीख अलग है।

इस दिन जन्मे थे बाल गोपाल

ज्योतिषाचार्य पं गणेश प्रसाद मिश्र के अनुसार, जन्माष्टमी का व्रत भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को किया जाता है। भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी, दिन बुधवार को, रोहिणी नक्षत्र में, अर्ध रात्रि के समय, वृष के चंद्रमा में हुआ था। अतः अधिकांश उपासक उक्त बातों में अपने-अपने अभीष्ट योग का ग्रहण करते हैं।

शास्त्र में इसके शुद्धा और विद्धा दो भेद हैं। उदय से उदय पर्यन्त शुद्धा और तद्गत सप्तमी या नवमी से विद्धा होती है। शुद्धा या विद्धा भी समा, न्यूना, या अधिका के भेद से तीन प्रकार की होती है और इस प्रकार 18 भेद बन जाते हैं। परन्तु सिद्धान्त रूप में तत्कालव्यापिनी (अर्धरात्रि में रहने वाली) तिथि अधिक मान्य होती है। यह व्रत सम्प्रदाय भेद से तिथि और नक्षत्र प्रधान हो जाता है।

23 को मनेगी जन्माष्टमी

इस वर्ष गुरुवार 22 अगस्त 2019 को अष्टमी रात्रि में 3 बजकर 16 मिनट से लगकर शुक्रवार 23 अगस्त 2019 को रात्रि 3 बजकर 18 मिनट तक है। वहीं रोहिणी नक्षत्र शुक्रवार 23 अगस्त को रात्रि 12 बजकर 10 मिनट से लगकर 24 अगस्त को रात्रि 12 बजकर 28 मिनट तक है। शुक्रवार 23 अगस्त की रात्रि मे अष्टमी और रोहिणी नक्षत्र का योग बन रहा है। जब मध्य रात्रि में अष्टमी तिथि एवं रोहिणी नक्षत्र का योग होता है, तब सर्वपाप को हरने वाली ‘जयन्ती’ योग से युक्त जन्माष्टमी होती है-

रोहिणी च यदा कृष्णे पक्षेSष्टम्यां द्विजोत्तम।

जयन्ती नाम सा प्रोक्ता सर्वपापहरातिथि।।

अत: गृहस्थों की जन्माष्टमी गुरुवार 23 अगस्त 2019 को होगी। उदयव्यापिनी रोहिणी होने के कारण रोहिणी मतावलम्बी वैष्णवों की जन्माष्टमी शनिवार 24 अगस्त 2019 को होगी।

यह सर्वमान्य और पापघ्न व्रत बाल, युवा और वृद्ध -सभी अवस्था वाले नर-नारियों के करने योग्य है। इससे उनके पापों की निवृत्ति और सुखादि की वृद्धि होती है, जो इसको नहीं करते, वे पाप के भागी होते हैं।

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