‘पाकिस्तान को अलग-थलग करने की भारत की कोशिश हुई नाकाम’

इस हफ्ते पाकिस्तानी उर्दू मीडिया में रूस और पाकिस्तान के अच्छे होते रिश्तों की खबर छाई रही. उर्दू मीडिया ने इशारों ही इशारों में रूस और पाकिस्तान के बेहतर होते रिश्तें भारत के लिए मुश्किलों का सबब बताया है.'पाकिस्तान को अलग-थलग करने की भारत की कोशिश हुई नाकाम'

पाकिस्तान का रोजनामा एक्सप्रेस लिखता है कि रूस और पाकिस्तान के रिश्ते नई करवट ले रहे हैं और उनके बीच रणनीतिक सहयोग के दरवाजे खुलने के संकेत मिल रहे हैं. रूसी प्रतिनिधिमंडल के उत्तरी वजीरिस्तान दौरे पर अखबार कहता है कि इसका मकसद आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन, पाकिस्तान की सैन्य ताकत और रणनीति का जायजा लेना है जो रूस पाकिस्तान रिश्तों के लिए अहम मोड़ साबित होगा.

अखबार की नसीहत है कि पाकिस्तान को बेहद एहतियात से आगे बढ़ना है क्योंकि रूस के साथ उसके रिश्तों में रोड़े अटकाने वालों की कोई कमी नहीं है. लेकिन पाकिस्तान को बिना खौफ आगे बढ़ना होगा और किसी दबाव के आगे नहीं झुकना है.

‘जंग’ अखबार ने इसे पाकिस्तान को अलग-थलग करने की भारतीय कोशिशों का नाकाम होना बताया है और यह भी लिखा है कि उसने चीन-पाकिस्तान कॉरिडोर में अड़चनें डालने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रखा है.  अखबार ने पाराचिनार हमले की जिम्मेदारी लेने वाले गुट ‘जमात-उल-अहरार’ को भारत का समर्थन प्राप्त होने का आरोप लगाया है. 

अखबार लिखता है कि पिछले सात दशकों से भारत की सरकारें पाकिस्तान को अस्थिर करने के लिए हर हथकंडे का इस्तेमाल करती रही हैं और मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तो चुनाव ही ‘पाकिस्तान दुश्मन’ जैसे नारों की बुनियाद पर लड़ा.

‘उम्मत’ ने इसपर एक संपादकीय लिखा जिसकी हेंडिग उन्होंने ये दी है- पाकिस्तान को अलग थलग करने की भारत की कोशिशें नाकाम. दरअसल, अखबार ने पाकिस्तानी सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा के इस बयान पर यह संपादकीय लिखा है कि पाकिस्तान को अलग-थलग करने का प्रोपेगेंडा करने वाले देख लें कि अंतरराष्ट्रीय दोस्तों ने किस तरह पाकिस्तान को इज्जत और अहमियत दी है.

अखबार लिखता है कि कुछ समय पहले भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दावा किया था कि वह पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग थलग करके छोड़ेंगे. लेकिन, दुनिया देख रही है कि अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस, चीन और अन्य देशों के सैन्य और राजनीतिक प्रतिनिधिमंडल लगातार पाकिस्तान का दौरा कर रहे हैं.

अखबार ने भारत के राजनेताओं को नकारात्मक सोच वाला बताते हुए कहा कि वे अपना रवैया बदलें क्योंकि तभी दोनों देश तरक्की, खुशहाली और अमन के लिए मिलकर काम कर पाएंगे.

‘औसाफ’ ने पाकिस्तानी कबायली इलाके के पाराचिनार में हुए धमाके पर संपादकीय लिखा और ‘भारत के पालतू’ दहशतगर्दों को निशाना बनाने की जरूरत पर जोर दिया है. अखबार लिखता है कि भारत के टुकड़ों पर पलने वाले आतंकवादियों ने पाराचिनार के निर्दोष लोगों को निशाना बनाकर अपने नापाक वजूद का अहसास कराया है.

‘रोजनामा पाकिस्तान’ ने भी संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की स्थायी राजदूत मलीहा लोदी के हवाले से लिखा है कि पाकिस्तान को अलग-थलग करने की भारत की कोशिशें नाकाम हो गई हैं.

साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि भारत से बातचीत के दरवाजे बंद नहीं किए गए हैं. लेकिन अखबार का कहना है कि अभी जिस तरह के हालात दोनों देशों के बीच हैं उनमें बातचीत शुरू होने के आसार नहीं हैं. लेकिन बातचीत के अलावा कोई और चारा भी तो नहीं है.

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