पहले दुल्हन की तरह सजी, ऐशो आराम की जिंदगी छोड़कर फिर साध्वी बन लिया वैराग्य…

अब वो साध्वी मुक्ताश्री के सानिध्य में वैराग्य के मार्ग पर चलेंगी. इससे पहले राजवाड़ा के पास से उनकी सवारी महावीर भवन से निकली. इसमें दीक्षा लेने वाली सिमरन ने सांसारिक परिधान में बग्घी पर सवार हुई.

दुनिया की चकाचौंध, ऐशो आराम की जिंदगी छोड़कर हरियाणा की 22 साल की लड़की सिमरन जैन ने वैराग्य की राह पकड़ ली. इंदौर के बास्केटबॉल कॉम्प्लेक्स में सिमरन जैन भगवत दीक्षा लेकर साध्वी श्री गौतमी जी बनीं. इस मौके पर सैकड़ों की संख्या में समाज के लोग भी मौजूद रहे.

अलग-अलग रास्तों से होकर ये यात्रा रेसकोर्स रोड स्थित बास्केटबॉल कॉम्प्लेक्स पहुंचीं. यहां संतो की अनुमति से केश लोचन सहित दीक्षा की विभिन्न विधियां हुईं और वो साध्वी श्री गौतमी जी बनीं.

सिमरन ने बीएससी कम्प्यूटर साइंस से किया है. उनके घर में माता-पिता, एक बहन और दो भाई हैं. बहन मेडिकल की पढ़ाई कर रही हैं. दीक्षा के बाद सिमरन के पिता अशोक गौड़ ने कहा कि हमारी ओर से बेटियों को अपनी इच्छा के अनुरूप जीवन जीने की अनुमति है.

उन्होंने कहा कि हमने सोचा था कि पढ़ने-लिखने के बाद करियर बनाएंगे या शादी करेंगे, लेकिन सिमरन की इच्छा दीक्षा लेने की ही थी.

दीक्षा से पहले सिमरन सुर्ख लाल जोड़े में नजर आईं. उन्होंने वैराग्य की मुश्किल डगर चुनने के फैसले के पांच कारण बताए.

इसके पहले रविवार को सिमरन ने हाथों पर मेंहदी रचाई और परिजनों के साथ वक्त बिताया था और उन्होंने इच्छानुसार अंतिम बार मनपसंद खाना खाया. दीक्षा लेकर साध्वी बनने के बाद उनका संयम का सफर शुरू हो गया है.

दीक्षा लेने के बाद साध्वी गौतमी ने कहा कि – वैराग्य की राह मुश्किल है. मैं दुनियाभर घूम चुकी हूं लेकिन सुकून नहीं मिला. फिर जब मैं गुरुजनों के सानिध्य में आई तब जाकर असली सुख की प्राप्ति हुई. मुझे चकाचौंथ भरी यह लाइफ रास नहीं आई. इसलिए मैंने वैराग्य लिया.

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