परिवहन निगम को रेलवे ने दिया अल्टीमेटम, भूमि खाली नहीं करने पर ध्वस्त कर देंगे बस अड्डा

 रेलवे ने परिवहन निगम को नोटिस भेज 31 जुलाई तक पर्वतीय बस अड्डे की भूमि को खाली करने का अल्टीमेटम दिया है। मुरादाबाद रेलवे मंडल की तरफ से भेजे गए नोटिस में यह जिक्र भी है कि, निर्धारित समय-सीमा में भूमि खाली नहीं करने पर रेलवे की ओर से बस अड्डे को ध्वस्त कर दिया जाएगा। इस पर आने वाला खर्च भी रोडवेज को ही देना होगा। रेलवे के नोटिस में रोडवेज को किराये के रूप में बकाया लगभग 55 लाख रुपये भी जमा कराने को कहा गया है।

रेलवे की जमीन पर कब्जा जमाकर बैठा परिवहन निगम अपना पर्वतीय बस अड्डा खाली करने को तैयार नहीं। हालात यह हैं कि निगम पर किराये का करीब 55 लाख रुपये बकाया है, जो सालों से लंबित चल रहा। रेलवे ने बस अड्डा खाली करने का नोटिस चार साल पहले रोडवेज को दिया था, पर जमीन खाली नहीं हुई। इसके बाद कई दफा नोटिस दिए गए लेकिन रोडवेज ने जमीन खाली नहीं की। अब रेलवे प्रशासन चेतावनी के संग परिवहन निगम को अंतिम नोटिस थमाया है। रेलवे मुरादाबाद मंडल के सीनियर सेक्शन इंजीनियर से रोडवेज के मंडलीय प्रबंधक को भेजे नोटिस में बताया है कि रोडवेज पर किराये के 5,33,6688 रुपये भी बकाया हैं। इसे भी तत्काल जमा करने को कहा गया है।

यह है पूरा मामला

रेलवे प्रशासन के मुताबिक रेलवे स्टेशन के बगल में रोडवेज का मसूरी बस अड्डा और वहां बना टैक्सी स्टैंड रेलवे की जमीन पर है। रेलवे ने पैंसठ साल पहले ये जमीन रोडवेज और टैक्सी स्टैंड को लीज पर दी थी। यह लीज खत्म होने का दावा जताकर रेलवे ने जमीन वापस लेने के लिए नैनीताल हाईकोर्ट की शरण ली। हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद वर्ष 2015 में रेलवे प्रशासन के पक्ष में निर्णय सुनाया। जिला प्रशासन को जमीन रेलवे के कब्जे में दिलाने के आदेश भी दिए गए।

प्रशासन द्वारा कोई कदम न उठाने पर रेलवे ने जमीन खाली कराने के लिए 2015 जून में प्रयास किया, लेकिन टैक्सी यूनियन हड़ताल पर चली गई। लगातार चलती रही हड़ताल से यात्रियों की जमकर परेशानी हुई और तत्कालीन राज्य सरकार ने दखल देकर जिला प्रशासन को तत्काल विवाद सुलझाने के निर्देश दिए। प्रशासन ने जुलाई-2015 में दोनों पक्षों की बैठक कराई। टैक्सी यूनियन ने जमीन खाली करने पर सहमति जता दी। रेलवे के साथ हुए समझौते में रेलवे ने दस टैक्सियां खड़ी करने समेत बुकिंग काउंटर की जगह उपलब्ध करा दी थी। इसके बाद रेलवे ने 21 जुलाई 2015 को टैक्सी स्टैंड की जमीन खाली करा ली थी, मगर रोडवेज ने बस अड्डे की जमीन खाली नहीं की।

रोडवेज यूनियनों के तेवर तल्ख

रोडवेज की यूनियनों ने रेलवे के खिलाफ लामबंदी शुरू कर दी है। कर्मचारी यूनियन के प्रदेश महामंत्री अशोक कुमार चौधरी व इंप्लाइज यूनियन के महामंत्री रविनंदन का कहना है कि पर्वतीय बस अड्डा किसी भी सूरत में नहीं छोड़ा जाएगा। रेलवे के करार में तय है कि रेलवे को बस अड्डे के लिए जमीन देनी होगी। अगर शहर के बीच में से बस अड्डा चला गया तो यात्रियों को बेहद परेशानी होगी व उन्हें अतिरिक्त किराया भी देना पड़ेगा। अगर रेलवे ने कोई भी सख्त कदम उठाया तो रोडवेज यूनियनें भी किसी आंदोलन से पीछे नहीं हटेंगी। वहीं, निगम कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष दिनेश गोसाईं ने कहा कि अगर जमीन खाली करनी पड़ी तो प्रबंधन को द्रोण होटल के बगल वाली खाली जमीन पर नया बस पर्वतीय अड्डा बनाना चाहिए।

दीपक जैन (महाप्रबंधक उत्तराखंड परिवहन निगम) का कहना है कि रेलवे और रोडवेज का एक ही काम है। वो भी यात्रियों को ले जा रहे और रोडवेज भी। रेलवे की ओर से निगम के मंडलीय प्रबंधक कार्यालय को नोटिस दिया गया है, जिस पर विधिक राय ली जा रही है। साथ ही शासन को भी अवगत करा दिया गया है। शासन के निर्देश पर ही निगम फैसला करेगा।

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