पत्‍नी की बात पर नवजोत सिद्धू का फिर अमरिंदर सिंह से हुआ सामना, कैप्‍टन ने दिया ऐसा जवाब

पंजाब के कैबिनेट मंत्री नवजो‍त सिंह सिद्धू की मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह से फिर ठन गई है। राज्‍य में Lok Sabha Election 2019 में मतदान से पहले  सिद्धू और  कैप्टन अमरिंदर आमने सामने आ गए हैं। सिद्धू ने अपनी पत्‍नी डॉ. नवजोत कौर सिद्धू की बात और उनके टिकट के मामले को लेकर कैप्‍टन अमरिंदर पर निशाना साधा। सिद्धू की पत्‍नी ने आरोप लगाया था मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और प्रदेश कांग्रेस प्रभारी आशा कुमारी ने अमृतसर से उनकी टिकट कटवाई। सिद्धू ने इस पर कहा कि मेरी पत्‍नी ठीक बोल रही है। वह कभी झूठ नहीं बाेलती। इस पर कैप्‍टन अमरिंदर ने भी तुरंत पलटवार किया। कैप्‍टन ने कहा कि डॉ. नवजोत ने चंडीगढ़ से टिकट मांगा था और आलाकमान नेे पवन बंसल को टिकट देना उचित समझा।

लोकसभा चुनाव में डॉ. नवजोत कौर को टिकट न मिलने कें मामले पर भिड़े कांग्रेस के दोनों दिग्‍गज

लोकसभा चुनाव में पंजाब में प्रचार नहीं कर पाने से खफा सिद्धू ने अब प्रचार तो शुरू कर दिया, लेकिन उनकी नाराजगी बरकरार दिख रही है। वीरवार को सिद्धू ने अपनी पत्नी डॉ. नवजोत कौर सिद्धू द्वारा कैप्‍टन अमरिंदर सिंह और पार्टी की पंजाब प्रभारी आशा कुमारी पर लगाए गए आरोप का समर्थन किया। सिद्धू ने कहा कि मेरी पत्‍नी में इतना दम है, नैतिकता है कि वह झूठ नहीं बोल सकती। वह जो कह रही है, ठीक ही होगा। कैप्टन ने भी जवाब देने में देरी नहीं लगाई। उन्होंने कहा कि नवजोत कौर ने चंडीगढ़ से टिकट मांगी थी जहां का फैसला पार्टी हाईकमान ने किया।

डॉ. नवजोत ने कहा था कि कैप्टन व आशा कुमारी ने कटवाई उनकी टिकट, सिद्धू बाेले- सही कही मेरी पत्‍नी ने

मुख्यमंत्री ने कहा कि पार्टी हाईकमान ने चंडीगढ़ में पवन बंसल को उम्मीदवार बनाया। पंजाब कांग्रेस ने डॉ. सिद्धू को अमृतसर और बठिंडा से चुनाव लडऩे का न्योता दिया था, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। कैप्टन ने यह भी कहा कि अगर मुझसे पूछा जाता तो मैैं यही कहता है कि डॉ. सिद्धू से बहुत बेहतर उम्मीदवार हैैं बंसल। बठिंडा से चुनाव लडऩे की संभावनाओं पर सिद्धू ने कहा था कि उनकी पत्‍नी स्टैपनी नहीं है जिसे कहीं भी फिट कर दिया जाए।

कैप्टन ने कहा- सिद्धू की पत्नी ने चंडीगढ़ से मांगी थी टिकट, फैसला हाईकमान ने किया

कैप्टन और सिद्धू के बीच विवाद 2017 में पंजाब में सरकार बनने के साथ ही शुरू हो गया था। रेत-बजरी और केबल माफिया से शुरू हुआ यह विवाद वहां तक पहुंचा जहां पर सिद्धू ने कैप्टन को पंजाब का कैप्टन मानने से भी इंकार कर दिया था। यही नहीं पुलवामा में जब आतंकी हमला हुआ तो विधानसभा में कैप्टन ने पाकिस्तान के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पेश किया, जबकि सदन के बाहर सिद्धू ने पाकिस्तान सरकार को दोषी मानने से इंकार कर दिया था।

बता दें कि लोकसभा चुनाव में पंजाब कांग्र्रेस ने सिद्धू को राज्य में प्रचार से दूर रखा। सिद्धू ने चंडीगढ़ में तो प्रचार किया, लेकिन पंजाब में कहीं पर भी उनकी ड्यूटी नहीं लगी। इसे लेकर सिद्धू ने आशा कुमारी को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया। हा‍लांकि वह प्रियंका गांधी के दौरे के समय प्रचार में शामिल हुए और वीरवार को गुरदासपुर में सुनील जाखड़ के लिए चुनाव प्रचार किया। आज वह बठिंडा में कांग्रेस उम्‍मीदवार अमरिंदर सिंह राजा बडिंग के लिए प्रचार करेंगे।

कैप्टन और सिद्धू के बीच की खींचतान का सिलसिला लगातार चला आ रहा है। सोमवार को सिद्धू ने गला खराब होने की बात कही, लेकिन अगले दिन ही वह कांग्र्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी के साथ बठिंडा पहुंच गए और रैली को भी संबोधित किया। सिद्धू ने प्रियंका गांधी के स्वागत के लिए खड़े कैप्टन के पांव को हाथ तो लगाए थे लेकिन संबोधन में उनका नाम तक नहीं लिया था।

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 सिद्धू ने बादलों को घेरने की धुन में रखे गलत तथ्य

दूसरी आेर, चंडीगढ़ में पत्रकारों से बातचीत के दौरान अकाली दल को घेरने की धुन में कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू वीरवार को इतने आक्रामक हो गए कि उन्होंने 2016 में पास हुए पंजाब खेतीबाड़ी एवं कर्ज निपटारा एक्ट की परिभाषा ही बदल दी। सिद्धू ने प्रेस कांफ्रेंस में आरोप लगाया कि अकाली-भाजपा सरकार ने विधानसभा में पंजाब खेतीबाड़ी कर्ज निपटारा एक्ट 2016 को पास तो करवाया लेकिन कर्ज किसी भी किसान का माफ नहीं किया। एक्ट पास होने के बाद सरकार ने करोड़ों रुपये के विज्ञापन भी दिए। बादलों के धुर विरोधी  सिद्धू ने आवेश में बिल की परिभाषा ही बदल दी क्योंकि बिल में कर्ज माफ करने की बात नही थी। 

यह था बिल में

आढ़ती किसानों को दिए जाने वाले कर्ज पर 18 से 24 फीसद तक ब्याज वसूलता है। इसके कारण किसान आढ़ती के चंगुल से नहीं निकल पाते। मोटा ब्याज वसूलने वाले आढ़तियों की मनमर्जी रोकने के लिए पंजाब विधानसभा में पंजाब खेतीबाड़ी एवं कर्ज निपटारा बिल-2016 सर्वसम्मति से पास किया गया था। इसमें प्रावधान था कि पैसों संबंधी विवाद के निपटारे के लिए न्यायपालिका की निगरानी में एक फोरम द्वारा शिकायतों की सुनवाई की जाएगी। कृषि ऋण निपटाने के लिए जिला स्तर पर फोरम और प्रदेश स्तरीय ट्रिब्यूनल बनेगा। इसमें जिला स्तर पर सेवारत या रिटायर्ड जिला जज और प्रदेश स्तर पर हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज होंगे। साथ में इसमें दो सदस्य भी होने थे जिसमें एक किसान और दूसरा साहूकार या आढ़तियों का प्रतिनिधि।

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