पंजाब में कांग्रेस के लिए सरकारी मुलाजिम बन सकते हैं मुसीबत

पंजाब के सरकारी मुलाजिम लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस के लिए मुसीबत बन सकते हैं, क्योंकि मुलाजिमों के मुद्दे जिस तरह से गर्माए हैं, वह पार्टी के लिए चिंता का सबब है। पंजाब में रेगुलर, कॉन्ट्रैक्ट, एडहॉक आदि मिला कर करीब चार लाख सरकारी मुलाजिम हैं। इनमें पंजाब सचिवालय से लेकर फील्ड स्टाफ शामिल हैं। काफी समय से अलग-अलग वर्गों के ये मुलाजिम अपनी मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं।पंजाब में कांग्रेस के लिए सरकारी मुलाजिम बन सकते हैं मुसीबत

इनकी प्रमुख मांगों में पे-कमीशन लागू करना, डीए एरियर जारी करना, पुरानी पेंशन स्कीम बहाल करना और कच्चे मुलाजिमों को रेगुलर करना शामिल हैं। चुनाव से पहले सरकार पर दबाव बनाने के मकसद से मुलाजिमों ने आंदोलन तेज कर दिया था। सचिवालय मुलाजिम हड़ताल पर चले गए थे। इसके बाद सरकार ने बातचीत की। डीए एरियर की दो किस्तें जारी की गईं। तीन अभी भी बकाया हैं।

ओल्ड पेंशन स्कीम व अन्य मुद्दों को लेकर अधिकारियों की एक कमेटी गठित की गई। हालांकि अभी तक हल समयबद्ध नहीं किया गया है। पे-कमीशन का समय भी बढ़ा दिया गया है। सरकार ने अपनी तरफ से फिलहाल मुलाजिमों को शांत कर लिया है। लेकिन चुनाव में मुलाजिमों का रुख क्या रहेगा, इस पर सबकी निगाहें टिकी हैं।

टीचर सबसे ज्यादा नाराज
सरकारी स्कूलों के करीब एक लाख टीचर सरकार से सबसे ज्यादा नाराज हैं। पहली बार सरकारी शिक्षकों के तमाम संगठन एकजुट हो गए हैं। टीचरों ने सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के जिले पटियाला में कई दिनों धरना दिया। इस दौरान टकराव भी हुआ, टीचरों पर लाठीचार्ज किया गया, पानी की बौछारों का प्रयोग किया गया। आखिर टीचरों की मांगों को लेकर सरकार को झुकना पड़ा।

लेकिन सरकार ने सिर्फ 5178 टीचरों को ही रेगुलर करने के आदेश दिए हैं, वह भी कुछ महीने बाद होंगे। इनके अलावा पटियाला में ही आंदोलन कर रही नर्सों को रेगुलर किया गया। बाकी मांगों पर विचार करने के लिए सरकार ने आठ सदस्यों की कमेटी गठित करने का एलान किया है। इसमें पांच प्रतिनिधि टीचरों के होंगे। टीचरों की सबसे बड़ी मांग थी कि एसएसए-रमसा टीचरों को पूरे वेतन के साथ रेगुलर किया जाए।

सरकार ने उन्हें 15,300 रुपये प्रतिमाह पर रेगुलर करने का ऑफर दिया था, जिसे टीचरों ने ठुकरा दिया था। अब सरकार ने इस पर विचार करने को कमेटी गठित करने का आश्वासन दिया है, पर टीचरों को लग रहा है कि इतने लंबे आंदोलन के बाद भी उन्हें कुछ खास नहीं मिला। मुलाजिमों के मुद्दे तो टीचरों पर लागू होते ही हैं।

उनकी नाराजगी की एक और वजह शिक्षा सचिव कृष्ण कुमार भी हैं। उनके तानाशाही रवैये से टीचरों में खासी नाराजगी है। तमाम विरोध के बाद भी सरकार ने कृष्ण कुमार को नहीं हटाया।

कच्चे मुलाजिमों की संख्या ही पता नहीं
पंजाब के विभिन्न विभागों में तैनात कच्चे मुलाजिमों ने दो साल से सरकार के खिलाफ मुहिम छेड़ रही थी। पिछली सरकार ने उन्हें रेगुलर करने का एक्ट पास कर दिया था। तब कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मुलाजिमों के आंदोलन का समर्थन किया था, पर सत्ता में आने के बाद कांग्रेस ने एक्ट को लटका दिया। तब कहा गया था कि 27 हजार कच्चे मुलाजिम हैं। अब कभी सीएम कहते हैं 40 हजार तो कभी 42 हजार।

उप चुनाव से पहले इनके आंदोलन को टालने के लिए ब्रह्म मोहिंद्रा, मनप्रीत बादल और चरनजीत चन्नी की सब-कमेटी बना दी गई थी। मुलाजिमों को कैसे रेगुलर करना है, यह तो दूर, कमेटी आज तक इनकी संख्या ही नहीं पता लगा सकी। हाल ही में मुलाजिमों को कहा गया है कि अधिकारियों की एक कमेटी बनाई जाएगी। कमेटी ने 22 को इनके साथ बैठक करनी है। उसके बाद कच्चे मुलाजिम चुनाव को लेकर अपनी रणनीति तय करेंगे।

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