पंजाब: आपातकाल के गुस्से में हो गया था कांग्रेस का सफाया, हर सीट पर मिली थी बड़ी हार
हरियाणा के चुनावी इतिहास में कांग्रेस के नाम क्लीन स्वीप भी दर्ज है। 1977 में आपातकाल के बाद छठी लोकसभा के लिए हुए चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना हरियाणा में करना पड़ा था। जनता ने आपातकाल के गुस्से में कांग्रेस का सफाया कर भारतीय लोकदल और जनसंघ के साझा प्रत्याशियों को सभी दस की दस सीटें जिता दी थीं।
इस चुनाव में कांग्रेस ने दस के बजाए नौ ही सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे, महेंद्रगढ़ सीट पर कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार ही नहीं उतारा था। इस चुनाव में भाजपा का मत प्रतिशत भी 18 प्रतिशत से कम रहा और भारतीय लोकदल ने 70 प्रतिशत से अधिक वोट हासिल किए थे।
उस समय कांग्रेस के खिलाफ हरियाणा के साथ ही देश भर में सत्ता विरोधी लहर चली थी। यह आजादी के बाद हुआ पहला चुनाव था, जिसमें कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था। हरियाणा में लोकदल और जनसंघ ने कांग्रेस को हराने के लिए ही हाथ मिलाया था। भारतीय लोकदल का गठन 1974 में चरण सिंह ने इंदिरा गांधी के शासन के खिलाफ किया था।
लोकदल में सात दलों का विलय हुआ था। यह चुनाव मतदान प्रतिशत के लिहाज से भी ऐतिहासिक रहा। इस चुनाव में 73.26 प्रतिशत मतदात हुआ था, जिसका रिकॉर्ड आज भी कायम है। इसके बाद हुए चुनावों में इससे कम ही मतदान होता आया है। हरियाणा में कांग्रेस के लिए 2014 का चुनाव भी गहरी चोट देने वाला रहा। इस चुनाव में मोदी लहर में कांग्रेस क्लीन स्वीप होने से बाल-बाल बची और मात्र रोहतक की सीट ही जीत पाई।