पंचायत चुनावों के लिए 40 हजार सुरक्षाकर्मी तैयार…

आतंकियों की धमकियों और अलगाववादियों के चुनाव बहिष्कार के फरमान के बीच हो रहे पंचायत चुनावों में 40 हजार से ज्यादा सुरक्षाकर्मी प्रत्याशियों से लेकर मतदाताओं की सुरक्षा को यकीनी बनाने में जुटे हुए हैं।पंचायत चुनावों के लिए 40 हजार सुरक्षाकर्मी तैयार...

इस बीच, सेना की उत्तरी कमान के जीओसी-इन-सी लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर ¨सह ने कश्मीर घाटी का दौरा कर वादी के मौजूदा आंतरिक और बाहरी सुरक्षा परिदृश्य का जायजा लेते हुए पंचायत चुनावों को सुरक्षित बनाने के लिए सेना की रणनीति को अंतिम रूप दिया।

गौरतलब है कि राज्य में पिछले पंचायत चुनाव वर्ष 2011 में हुए थे। यह चुनाव वर्ष 2016 में दोबारा होने थे, लेकिन कानून व्यवस्था की स्थिति के चलते नहीं हो पाए थे। पंचायत चुनावों की प्रक्रिया गत अक्टूबर में शुरू हुई थी और नौ चरणों में होने जा रहे पंचायत चुनावों के पहले चरण का मतदान 17 नवंबर को होने जा रहा है। आतंकी संगठनों ने इन चुनावों में भाग लेने वालों को जान से मारने की धमकी दे रखी है। हुíरयत कांफ्रेंस समेत विभिन्न अलगाववादी संगठनों ने इन चुनावों के बहिष्कार का फरमान सुना रखा है।

राज्यपाल प्रशासन ने इन पंचायत चुनावों को सुरक्षित और एक निष्पक्ष वातावरण में संपन्न कराने के लिए पूरी रियासत में सुरक्षा का पुख्ता बंदोबस्त करने का दावा किया है। राज्य के मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रहमण्यम ने भी गत दिनों एक बैठक में पंचायत चुनावों के सुरक्षा कवच का जायजा लिया है।

पंचायत चुनावों की सुरक्षा में शामिल डीआइजी रैंक के एक अधिकारी ने बताया कि पंचायत चुनावों का सुरक्षा चक्र हाल ही में संपन्न हुए निकाय चुनावों में उपलब्ध कराए गए सुरक्षा चक्र से ज्यादा विस्तृत और सख्त है। इसमें पुलिस, सीआरपीएफ, सीआइएसएफ, बीएसएफ, एसएसबी और सेना के जवान शामिल हैं। केंद्रीय अर्धसैनिकबलों की 400 कंपनियों जिनमें लगभग 40 हजार जवान और अधिकारी शामिल हैं, पंचायत चुनावों की सुरक्षा का जिम्मा संभाल रहे हैं। इनके अलावा सेना और राज्य पुलिस की सशस्त्र वाहिनियों को भी चुनावी ड्यूटी में तैनात किया गया है।

उन्होंने बताया कि चुनाव लड़ रहे पंच-सरपंचों की सुरक्षा को यकीनी बनाने के लिए प्रत्येक क्षेत्र को सामान्य, संवेदनशील और अति संवेदनशील की श्रेणी में बांटते हुए सुरक्षाबलों की तैनाती की गई है। अस्थायी चौकियां बनाई गई हैं। इसके अलावा आतंकवाद प्रभावित इलाकों में रात्रिकालीन गश्त को भी बढ़ाया गया है। चौकी और पुलिस थाना क्षेत्र के आधार पर अधिकारियों को अपने अपने कार्याधिकार क्षेत्र में सक्रिय सभी शरारती तत्वों की गतिविधियों की सख्त निगरानी करने और राष्ट्रविरोधी तत्वों को गड़बड़ी करने से पहले ही एहतियातन हिरासत में लेने का निर्देश दिया गया है।

चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों को कहा गया है कि वह शाम को सूर्यास्त के बाद चुनाव प्रचार से बचने के अलावा अजनबी लोगों से मिलने से बचें। अगर किसी को अपने घर के आसपास किसी पर कोई संदेह नजर आए तो तुरंत निकटवर्ती पुलिस चौकी या सुरक्षा शिविर को सूचित करें। इसके अलावा पुलिस, सेना और सीआरपीएफ के जवानों की संयुक्त टुकड़ियां लगातार आतंकियों की धरपकड़ के लिए विभिन्न इलाकों में घेराबंदी कर तलाशी अभियान चला रही हैं।

इस बीच, सेना की उत्तरी कमान के जीओसी-इन-सी लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर ¨सह ने वीरवार को कश्मीर घाटी का दौरा कर वादी के मौजूदा आंतरिक और बाहरी सुरक्षा परिदृश्य का जायजा लेते हुए पंचायत चुनावों के सुरक्षा कवच में सेना की की रणनीति को अंतिम रूप दिया। उन्होंने सेना की 15वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एके बट संग उत्तरी और दक्षिण कश्मीर के भीतरी इलाकों में स्थित सैन्य प्रतिष्ठानों का भी दौरा किया और सैन्य कमांडरों के साथ जमीनी हालात व आतंकरोधी अभियानों पर चर्चा की। उन्होंने सैन्य अधिकारियों व जवानों को हाल ही में सफल आतंकरोधी अभियानों के लिए मुबारक देते हुए उनकी बहादुरी, कर्तव्यनिष्ठा व आत्मबलिदान की भावना की सराहना की। उन्होंने नागरिक क्षति से बचने के लिए सैन्य अधिकारियों द्वारा स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग सिस्टम (एसओपी) के अनुपालन को यकीनी बनाने के लिए भी सराहा।

उत्तरी कमान प्रमुख ने सैन्य अधिकारियों व जवानों को संबोधित करते हुए सभी सुरक्षा एजेंसियों के साथ पूरा समन्वय बनाए रखने पर जोर देते हुए कहा कि सुरक्षा, शांति और विश्वास का माहौल बनाए रखने के लिए यह बहुत जरूरी है। उन्होंने श्रीनगर स्थित सेना के परागमन शिविर का भी दौरा किया और वहां उपलब्ध सुविधाओं का जायजा लिया।

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