न आए पंडित जी, न सजा मंडप, बिन फेरे फिर भी हम हुए तेरे… दूल्हा-दुल्हन की अनोखी शादी

 शादी का सीजन है. पिछले साल लाखों शादियां हुईं. इस साल भी शादियों का सिलसिला जारी है. शादी तो आपने बहुत देखी होगी. आजकल लोग शादियों में क्या कुछ नहीं करते. कई शादियों में लाखों का खर्च होगा है, मेहमानों की लंबी लिस्ट होगी है. कुछ लोग डेस्टिनेशन वेडिंग करते हैं. वहीं, शादी के मौके पर कार्ड काफी अहम किरदार निभाते हैं, इस वजह से लोग शादी के कार्ड पर काफी पैसे खर्च करते हैं और कोशिश करते हैं कि उनके परिवार का कार्ड, दूसरों के कार्ड (Viral Wedding Card) से बेहतर हो. शादी के कार्ड में मौजूद बातें भी कई बार रोचक हो जाती हैं. इन सबसे बीच हरियाणा की एक शादी वायरल हो रही है. यहां दूल्हा दुल्हन तो थे, लेकिन न तो पंडित थे और न ही थी बारात. यहां तक कि न कोई फेरे की रस्म थी और न ही किसी मंत्र की गूंज. बस कुछ था तो देशभक्ति.

इस गांव का है मामला
जी हां, हरियाणा के झज्जर जिले के गांव गोरिया में एक ऐसी ही अनोखी शादी देखने को मिली है. यहां दूल्हा-दुल्हन तो थे, लेकिन न तो पंडित थे, न ही मंत्रोच्चारण हुआ और न ही कोई मंडप सजा. यहां देश के लिए जान देने वाले शहीद भगत सिंह को साक्षी मानकर अनोखी शादी पूरी की गई.

न सोना चांदी और न ही…
गोरिया के शहीद भगत सिंह युवा मंच के सदस्य सर्वेश भुक्कर ने केक काटकर अपनी दुल्हन पारस को वरमाला पहनाई. इस दौरान कोई भी सोने चांदी के आभूषण नहीं लिए गए. शादी के बाद मंदिर में पूजा-अर्चना की गई. इसके बाद शहीद भगत सिंह के फोटो के सामने पुष्प अर्पित कर शादी की रस्म निभाई. शहीद भगत सिंह को साक्षी मानकर शादी की रस्में पूरी की गई.

बिना मंत्रोच्चार के शादी
सबसे दिलचस्प बात यह थी इस शादी में न तो पंडित जी आए और ना ही मंडम सजा था. आपसी सहमति से मंत्रोच्चार के साथ शादी करने के बाद केक काटकर व भगत सिंह के चित्र के समक्ष पुष्प अर्पित करने के बाद दुल्हे व दुल्हन ने एक-दूसरे को वरमाला पहनाई. वरमाला के समय इंकलाब जिंदाबाद व शहीद भगत सिंह अमर रहे के नारे लगाए गए.

पौधे किए वितरित
शहीद भगत सिंह युवा मंच के सदस्य सर्वेश भुक्कर का कहना है कि वे बचपन से ही भगत सिंह के जीवन से काफी प्रभावित रहे हैं. वे भगत सिंह को अपना आदर्श मानते हैं. उन्होंने अपने शादी के कार्ड पर गणेश भगवान की फोटो की बजाय दीनबंधु छोटूराम व शहीद भगत सिंह का फोटो छपवाया हुआ है. शादी कार्ड में कहीं चाक भात व मंगल गीत की सूची न बनवाकर सीधे प्रीति भोज व बरात प्रस्थान का समय भी लिखा हुआ है. पर्यावरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ही सभी रस्मों में मेहमानों को पौधे वितरित किए गए.

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