नोटबंदी के 15 महीने बाद भी जारी है पुराने नोटों की गिनती

8 नवंबर 2016 को बंद किए गए 500 और एक हजार रुपये के पुराने नोट आम जनता द्वारा जमा किए जाने के बाद भी इनकी गिनती जारी है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने एक आरटीआई का जवाब देते हुए कहा गया कि संख्या जानने में अभी वक्त लगेगा। 

नोटों की पूरी तरह से हो रही है जांच
आरबीआई ने समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई) के एक संवाददाता द्वारा दायर की गई आरटीआई का जवाब देते हुए कहा कि नोटों को जांचने में वक्त लग रहा है, इसलिए पूरी जानकारी आने में और समय लगेगा। प्रत्येक पुराने नोट को अच्छी तरह से जांचा जा रहा है, जिसके कारण देरी हो रही है। 

इतने मूल्य के नोट आए वापस
आरबीआई ने कहा है कि अभी तक जितने नोट सिस्टम में वापस आये हैं उनकी कीमत 30 जून 2017 तक 15.28 लाख करोड़ रुपये थी। इस वैल्यू में फाइनल रिजल्ट आने तक उतार-चढ़ाव हो सकता है। हालांकि आरबीआई ने दोहराया कि नोटों की गिनती कब तक पूरी होगी, इसके बारे में आरबीआई ने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया।  

अभी 67 मशीनों से हो रही है जांच

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने कहा कि पुराने नोटों की जांच के लिए सेंट्रल बैंक में 59 करेंसी वेरिफिकेशन एंड प्रोसेसिंग मशीन लगा रखी हैं। इसके अलावा 8 मशीने अन्य बैंकों में लगी हैं। इनके अलावा 7 मशीनों को आरबीआई ने किराये पर ले रखी हैं।  

वापस आ गए 99 फीसदी नोट
आरबीआई ने अपनी 2016-17 की वार्षिक रिपोर्ट में बताया था कि नोटबंदी के बाद 1000 रुपए के 8.9 करोड़ नोट वापस नहीं आए। इस दौरान कुल 99 फीसदी नोट वापस आ गये थे।  इसका मतलब साफ है कि नोटबंदी के बाद सिस्टम का लगभग सारा पैसा बैंकों में वापस आ गया।

वहीं नोटबंदी के बाद नए नोटों की छपाई पर हुए खर्च के बारे में बताया कि इन्हें छापने में अब तक सरकार के 7,965 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। आरबीआई ने कहा कि नोटबंदी की प्रक्रिया बेहद जटिल और चुनौतीपूर्ण थी। 

 
 
Back to top button