नेता आपस में ही भिड़े, सुखबीर की सलाह पर अमरिंदर को आया ‘गुस्‍सा’

सतलुज-यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर को लेकर पंजाब के नेताओं में फिर घमासान शुरू हो गया है। इस मुद्दे पर कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल के बीच सियासी जंग छिड़ गई है। मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह (Capt amrinder singh)और शिअद नेता सुखबीर सिंह बादल ( Sukhbir singh badal) के बीच ट्वीट वार से पंजाब की सियासत गर्मा गई है। सुखबीर बादल ने मुख्‍यमंत्री को एसवाईएल (SYL canal) पर होनेवाली किसी बैठक में भाग ने लेने की सलाह दी तो कैप्‍टन को गुस्‍सा आ गया। उन्‍होंने जवाब दिया कि मुझे सलाह न दें।

सुखबीर बोले- एसवाईएल पर किसी बैठक में शामिल न हों, कैप्टन का जवाब- मुझे सलाह न दें

यह घमासान दिल्ली में पंजाब व हरियाणा के मुख्य सचिवों की एसवाईएल को लेकर हुई मीटिंग के बाद शिरोमणि अकाली दल के प्रधान व सांसद सुखबीर बादल के एक ट्वीट के बाद शुरू हुआ। सुखबीर ने सरकार को चेताते हुए कहा कि पंजाब सरकार एसवाईएल को लेकर होने वाली किसी भी बैठक में शामिल होने की जरूरत नहीं है।उन्होंने सरकार को चेतावनी दी कि वह नदियों के पानी को लेकर किसी भी दबाव में न आएं। उन्होंने कहा कि शिअद का स्टैंड साफ है कि पंजाब के पास किसी को भी देने के लिए एक बूंद पानी नहीं है।

कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ट्वीट कर कहा कि एसवाईएल को लेकर मुझे सुखबीर सलाह न दें और उनका पानी के मामले में मुझे सलाह देना हास्यास्पद है। उन्होंने कहा कि 2004 में उन्होंने ही पंजाब के पानी को बचाने के लिए पंजाब टर्मिनेशन आफ एग्रीमेंटस एक्ट बनाया था और नदियों के पानी को लेकर सभी समझौतों को रद कर दिया था। मुझे इससे ज्यादा कुछ कहने की जरूरत नहीं है।

कैप्‍टन ने कहा, मेरे लिए पंजाब पहले है। मुख्यमंत्री ने एक और ट्वीट करते हुए सुखबीर बादल से कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री चौधरी देवीलाल ने तो मई 1978 में विधानसभा में ही कहा था कि आपके पिता ने एसवाईएल के लिए खरीदी जाने वाली जमीन की नोटिफिकेशन जारी की थी और इसके लिए हरियाणा सरकार की ओर से दिया गया एक करोड़ रुपये वसूल किए थे। उन्होंने कहा कि सुखबीर को तो इस मामले में बोलने का कोई अधिकार ही नहीं है। उन्होंने कहा, यह मुझ पर छोड़ दें, पंजाब का पानी पंजाब में ही रहेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने चर्चा से मसले का हल खोजने को कहा था

गौरतलब है कि एसवाईएल के निर्माण को लेकर पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, पंजाब और हरियाणा सरकारों को मिल बैठकर इस मसले का हल खोजने के लिए कहा था और यह भी चेतावनी दी कि यदि ऐसा नहीं किया गया तो सुप्रीम कोर्ट इस मामले में खुद आदेश देगा। इस केस की अगली सुनवाई 3 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में होनी है। इन्हीं आदेशों का पालन करते हुए बीते शुक्रवार को पंजाब के मुख्य सचिव करण अवतार सिंह और हरियाणा की मुख्य सचिव केश्नी आनंद अरोड़ा के बीच मीटिंग हुई जिसमें दोनों ही अपने अपने स्टैंड पर अड़े रहे।

हरियाणा के विधानसभा चुनाव में बनेगा मुद्दा

इस मामले पर जिस तरह की बयानबाजी पंजाब के नेताओं के बीच छिड़ गई है, उससे साफ जाहिर है कि दो माह बाद अक्टूबर में होने वाले हरियाणा विधानसभा के चुनाव में यह मुद्दा जबरदस्त ढंग से उठेगा। शिरोमणि अकाली दल के लिए इस पर स्टैंड लेना हरियाणा में अकाली भाजपा के गठजोड़ के लिए महंगा भी पड़ सकता है।

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