निवेशकों के हजारों करो़ड़ ठगने वाले चार और आरोपितों को राजस्थान पुलिस ने किया गिरफ्तार

 निवेशकों से हजारों करोड़ रुपये की ठगी करने वाली आदर्श क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी के चार पदाधिकारियों को राजस्थान पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) ने सिरोही से गिरफ्तार किया है। इन्हें मिलाकर इस सोसायटी के अब तक 11 पदाधिकारी गिरफ्तार हो चुके हैं। आरोप है कि इन्होंने निवेश के नाम पर लोगों से पैसा लिया और उसे 25 फर्जी कंपनियों में लगाकर खुद के लोगों को ही फायदा पहुंचाया।

एसओजी के महानिदेशक भूपेंद्र सिंह ने शनिवार को बताया कि गिरफ्तार आरोपित वीरेंद्र मोदी व कमलेश चौधरी आदर्श क्रेडिट को-ऑपरेटिव बैंक के पूर्व चेयरमैन हैं। गिरफ्तार अन्य आरोपितों में चेयरमैन ईश्वर सिंह सिंहल, पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर प्रियंका मोदी, सीनियर वाइस प्रेसीडेंट वैभव लो़ढा, सीएफओ समीर मोदी, सहायक मैनेजिंग डायरेक्टर रोहित मोदी, पूर्व एमडी ललिता राजपुरोहित, डायरेक्टर विवेक पुरोहित, डायरेक्टर भरत मोदी और टैक्टोनिक इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड कंपनी के भरत दास वैष्णव है।

रुपये निवेश करवाकर शैल कंपनियों में लगा दिए

अगस्त, 2018 में एसओजी में यह शिकायत आई थी कि आदर्श क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी ने निवेशकों के करोड़ों रुपये शैल कंपनियों में लगा दिए और निवेशकों को पैसा लौटाया नहीं जा रहा है। इस मामले की जांच शुरू की गई तो सामने आया कि मुकेश मोदी ने आदर्श क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड की स्थापना की थी। 28 राज्यों व चार केंद्र शासित प्रदेशों में इसकी 806 शाखाएं खोलीं। इनमें 309 शाखाएं राजस्थान में खोलकर करीब 20 लाख सदस्य बनाए गए। इनमें करीब 10 लाख निवेशक सदस्य हैं। इनसे करीब 8000 करो़ड़ रुपये का निवेश करवाया और अपनी शैल कंपनियों में निवेश कर दिया। यह भी सामने आया कि मुकेश मोदी व वीरेन्द्र मोदी ने अपने बेटे-बेटी और दामाद को गैरकानूनी ढंग से 270 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया है। मुकेश मोदी ने अपनी पत्नी व दामाद को भी आदर्श क्रेडिट को-आपरेटिव सोसायटी लिमिटेड में सलाहकार बता कर पिछले तीन वर्षों में 720 करो़ड़ रुपये का भुगतान करवा दिया। जांच के बाद आर्थिक धोखाधड़ी की विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया गया।

2,23,77,50,000 रुपये नकद थे

2016 में डीजी भूपेंद्र सिंह के मुताबिक, आगे की जांच में यह भी सामने आया कि मोदी परिवार ने निवेशकों से मिले पैसे को मित्रों व परिजनों को बिना किसी गारंटी कर्ज के रूप में दे दिया। ऐसे 187 ऋण खाते खोले गए और इनमें 31 मार्च, 2019 तक 14 हजार 682 करोड़ रुपये से ज्यादा बकाया चल रहे थे। यह सारा उन लाखों निवेशकों का है, जिन्होंने इस सोसायटी में निवेश किया था। जांच में यह भी सामने आया कि आदर्श क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी की शैल कंपनी व फर्म के पास 31 मार्च, 2016 को 2,23,77,50,000 रुपये नकदी के रूप में थे। नवंबर, 2016 में नोटबंदी के बाद यह पैसा शेयर एप्लीकेशन मनी के रूप में सोसायटी में जमा कराना दर्शाया गया, लेकिन जांच में पता चला कि यह रकम सोसायटी को प्राप्त हुए ही नहीं। इस मामले में पुलिस आरोपितों की पत्नियों की भूमिका की भी जांच कर रही है।

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