‘नाग’ के जरिए पाक को काबू में करेगा भारत, शुरू हुई टेस्ट…

नई दिल्ली। आजादी मिलने के बाद अगर पाकिस्तान के हुक्मरानों ने अपनी पूरी ऊर्जा को विकास कार्यों को समर्पित किया होता तो शायद दक्षिण एशिया की तस्वीर कुछ और रही होती। लेकिन दुर्भाग्य ये रहा कि भारत विरोध के बुनियादी सिद्धांत से अपना सफर शुरू करने वाले पाकिस्तान ने 1965 और 1971 की नाकाम लड़ाई लड़ी।

'नाग' के जरिए पाक को काबू में करेगा भारत, शुरू हुई टेस्ट...‘नाग’ के जरिए पाक को काबू में करेगा भारत, शुरू हुई टेस्ट…

दोनों लड़ाइयों में करारी शिकस्त पाने के बाद पाकिस्तान ने अपनी रणनीति बदली और क्षद्म युद्घ पर उतर आया । लेकिन भारत की फौज हर पल पाकिस्तान के नापाक इरादे को नाकाम करने में जुटी हुई है। राजस्थान के पोखरण में पाक सीमा के करीब भारतीय सेना द्वारा टैंकरोधी नाग मिसाइल का टेस्ट शुरू हो चुका है।

पोखरण में ‘नाग’ का परीक्षण

डीआरडीओ निर्मित ई जेनरेशन एंटी टैंक मिसाइल ‘नाग’ का परीक्षण जैसलमेर की पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में चार दिन तक चलेगा। पाकिस्तान सीमा के पास पोखरण फायरिंग रेंज में इस मिसाइल का परीक्षण महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इसी फायरिंग रेंज में अमेरिका से खरीदी गई यूएवी होवित्जर तोपों का परीक्षण भी इन दिनों चल रहा है। मिसाइल नाग के परीक्षण के दौरान डीआरडीओ और सेना के अधिकारी मौजूद हैं।

पिछले वर्ष बीकानेर फायरिंग रेंज में इसी मिसाइल का परीक्षण किया गया था, लेकिन उस दौरान उच्च तापमान में मिसाइल के परीक्षण में कुछ तकनीकी खामियां सामने आई थीं। पिछले वर्ष मिसाइल की मारक क्षमता चार किलो मीटर रखी गई थी, लेकिन इस बार तीन किलो मीटर रखी गई है। पिछले वर्ष इस मिसाइल को गाइड करने के लिए इसमें लगा इमेजिंग इंफ्रा रेड सिकर अधिक गर्मी के दौरान सही काम नहीं कर सका था। इसलिए एक बार फिर मिसाइल का परीक्षण किया जा रहा है।

सैन्य सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस मिसाइल प्रोजेक्ट की लगात 350 करोड़ रुपये से अधिक है। अब परीक्षण में मिसाइल में उच्च क्षमता के उपकरण लगाए गए हैं। यह अधिक गर्मी में भी मिसाइल को दिशा नहीं भटकने देंगे। ‘नाग’ का परीक्षण प्रारंभ होने से पूर्व थल सेनाध्यक्ष का रविवार को जयपुर दौरा और पश्चिमी कमान के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के साथ बैठक को महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

नाग की खासियत

-मिसाइल को दागे जाने के बाद रोक पाना असंभव ।

-नाग मिसाइल का वजन करी 42 किलोग्राम ।

आठ किलोग्राम विस्फोटक के साथ चार से पांच किमी तक मार कर सकती है। 

-नाग मिसाइल की गति 230 मीटर प्रति सेकेंड।

-दागे जाने के तुरंत बाद धुआं नहीं निकलता है।

-दुश्मन को जानकारी नहीं मिल पाती है।

-दस साल तक बगैर किसी रखरखाव के किया जा सकता है इस्तेमाल

जानकार की राय

भारत-पाक सीमा के करीब इसके परीक्षण से पाक पर मनौवैज्ञानिक दबाव बनाने की कोशिश है जो जरूरी है। नाग मिसाइल का पहले भी परीक्षण किया गया और उस दौरान आई खामियों को दूर करने के लिए मौजूदा परीक्षण आवश्यक है ताकि दुश्मन का कारगर ढंग से मुकाबला किया जा सके।

पृथ्वी मिसाइल

ये एक ऐसी मिसाइल है, जिसका इस्तेसमाल भारतीय सेना की तीनों इकाईयों- थल, वायु और नौसेना में होता है। तीनों के लिये पृथ्वीा मिसाइल के अलग-अलग वर्जन बनाये गये हैं।

पृथ्वी 1- यह खासतौर से थल सेना के लिये बनायी गई है, जिसकी रेंज 150 किलोमीटर है। यह अपने साथ 1000 किलो बारूद ले जाने में सक्षम है। इसे जमीन से दागा जाता है।

पृथ्वीर 2- यह विशेष रूप से वायुसेना के लिये बनायी गई है। इसकी मारक क्षमता 250 किलोमीटर तक है और 500 किलो बारूद भरा जा सकता है। इसे फाइटर प्लेन से दागा जाता है।

पृथ्वी 3- यह मिसाइल खास तौर से नौसेना के लिये बनायी गई है। किसी भी लड़ाकू जहाज से इस मिसाइल का प्रक्षेपण किया जा सकता है। इसकी रेंज 350 किलोमीटर है।

अग्नि मिसाइल

अग्नि-1 इसमें एसएलवी-3 बूस्टइर का प्रयोग किया जाता है इसकी मारक क्षमता 700 किलोमीटर की होती है। इसमें लिक्विड फ्यूल भरा जाता है। 28 मार्च 2010 में इसका पहला परीक्षण हुआ था। यह मिसाइल अपने साथ परमाणु सामग्री ले जाने में सक्षम है।

अग्नि 2: परमाणु क्षमता वाली इस मिसाइल की रेंज 3000 किलोमीटर है। यह अपने साथ 1000 किलो सामग्री तक ले जाने में सक्षम है।

अग्नि 3: जुलाई 2006 में भारत ने अग्नि 3 का सफल परीक्षण किया था। इसकी मारक क्षमता 3000 किलोमीटर तक है। हालांकि इसे 4000 किलोमीटर तक भी बढ़ाया जा सकता है। इसमें 600 से 1800 किलो तक परमाणु सामग्री भरी जा सकती है।

अग्नि 4: 4000 किलोमीटर तक की मारक क्षमता रखने वाली इस मिसाइल की जद में पूरा पाकिस्तान और आधे से ज्याीदा चीन आ सकता है। इसका परीक्षण 2011 में किया गया था। यह भी परमाणु क्षमता वाली मिसाइल है।

अग्नि 5: अप्रैल 2012 को अग्नि 5 का परीक्षण किया गया, जिसने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया। इसकी जद में पूरा चीन आ जाता है। इसकी रेंज 5500 किलोमीटर है, जिसे 7000 किलोमीटर तक बढ़ाया जा सकता है। 

धनुष मिसाइल

यह मिसाइल असल में पृथ्वी, 3 से बनी है, जो खास तौर से नौसेना में इस्तेममाल होती है। इसकी रेंज 250 से 350 किलोमीटर है। इस मिसाइल का निर्माण डीआरडीओ में साल 2000 में किया गया था।  इसे पहली बार आईएनएस सुभद्रा से छोड़ा गया था।

शौर्य मिसाइल

कम दूरी तक मार करने वाली यह मिसाइल भारतीय थल सेना के लिये बनाई गई। इसमें 1000 किलोग्राम तक परमाणु सामग्री भरी जा सकती है। इसकी रेंज 600 किलोमीटर की है।

सागरिका मिसाइल

सागरिका का मतलब होता है समुद्र से पैदा होने वाली। इस मिसाइल का प्रक्षेपण सीधे पंडुब्बीझ से किया जाता है। इसकी लंबाई 8.5 मीटर की है और 500 किलो तक बारूद ले जाने में सक्षम है। इस मिसाइल का निर्माण 1991 में शुरू हुआ और 2001 में तैयार हो गई। उसके बाद नौसेना को दे दी गई। इस मिसाइल की रेंज 750 किलोमीटर है।

ब्रह्मोस मिसाइल

यह सुपर सोनिक मिसाइल है, जिसे डीआरडीओ ने रूस के एनपीओ के साथ मिलकर बनाया गया है। इसकी रेंज 290 किलोमीटर है। इसमें 300 किलो तक बारूद भरा जा सकता है। इसे थल सेना और नौसेना के लिये बनाया गया है। इसकी गति 2.5 से 2.8 मैक स्पीकड है। यह दुनिया की सबसे तेज़ गति से चलने वाली क्रूज मिसाइल है। भारत 2011 तक 110 ब्रह्मोस मिसाइलें तैयार कर चुका है। इस साल यह संख्या और बढ़ गई है।

 

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