नशे के लिए लड़के बने चोर तो लड़कियों ने शुरू किया देह व्यापार!

इंदौर.शहर में नशा करने वालों की संख्या हर साल दोगुना से भी ज्यादा बढ़ रही है। पिछले पांच साल में रिहेबिलिटेशन सेंटर्स में आने वाले ड्रग्स एडिक्ट की संख्या वर्ष 2012 की तुलना में छह गुना हो गई है। इनमें 90 प्रतिशत एडिक्ट 18 से 30 साल के युवा हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि काउंसलिंग के लिए आने वाले ऐसे हर 10 लोगों में चार युवतियां होती हैं। चूंकि नशे के लिए ड्रग्स एडिक्ट को कम से कम 500 से 2000 रुपए रोज खर्च करना पड़ते हैं, इसलिए ये लोग अपराध से लेकर देह व्यापार तक हर हथकंडा अपना रहे हैं। यहां तक कि बदला लेने के लिए भी ड्रग्स का इस्तेमाल किया जा रहा है।
नशे के लिए कोई चोर बना तो काेई कॉल गर्ल, बदला लेने के लिए भी ड्रग्स का यूज
 
शहर के एक रिहेब सेंटर के डॉ. सुरेश अग्रवाल कहते हैं कि ड्रग्स एडिक्ट में से कोई चोर बन गया तो कोई कॉल गर्ल। काउंसलिंग के लिए आने वालों में 40-45 प्रतिशत तक युवतियां हैं। वहीं पिछले कुछ सालों में 10 युवतियां इलाज के लिए भर्ती हो चुकी हैं। इनमें तीन ने काउंसलरों के सामने स्वीकारा कि वे नशे के लिए कॉल गर्ल बन गई थीं।
 
आंकड़े चार रिहेब सेंटर्स के
-101 एडिक्ट रिपोर्ट हुए थे 2012 में
-352 संख्या 2015 में
-522 एडिक्ट पहुंचे इस साल जून तक
  
चौंकाने वाले तीन किस्से… नशे ने ‘जहर’-सी बना दी थी इनकी जिंदगी…
 
दोस्त को बनाया ड्रग एडिक्ट, बात पत्नी सौंपने तक पहुंची
मोहित और मजहर (दोनों परिवर्तित नाम) दोस्त के साथ बिजनेस पार्टनर भी थे। मोहित के संबंध मजहर की पत्नी से हो गए थे। जब मजहर को इसका पता चला तो उसने बदला लेने के लिए मोहित को भी ब्राउन शुगर का एडिक्ट बना दिया। बाद में मोहित की हालत यह हो गई कि वह नशे के डोज के लिए अपनी पत्नी मजहर को सौंपने के लिए तैयार हो गया। पत्नी को जब इसका पता चला तो वह चंदन नगर थाने पहुंच गई। तत्कालीन टीआई ने उनकी काउंसलिंग की और दोनों का इलाज करवाया।
 
पढ़ाई छूटी, बेटे की हालत देखकर रोते थे माता-पिता
19 साल के प्रतीक (परिवर्तित नाम) 12वीं के बाद पढ़ाई नहीं कर सका। इसका कारण था ब्राउन शुगर का नशा। पहले उसने शराब पीना शुरू की। एक दिन दोस्त ब्राउन शुगर ले आए। वे बोले इसमें ज्यादा नशा है। इस पर प्रतीक ने तीन-चार बार ब्राउन शुगर का नशा किया। फिर वह इसका आदी हो गया। बकौल प्रतीक, रोज नशा करने के लिए 1000 से 1500 रुपए का खर्च आता था। उसने घर वालों से रुपए मांगे। दोस्तों से उधार किया। बाद में उसकी यह हालत हो गई कि उसे देखकर माता-पिता रोते थे।
 
घर में शुरू की चोरी, बाहर लोगों को दिया धोखा
सुदामा नगर निवासी ऋषि (परिवर्तित नाम) इंजीनियर है। उसके अनुसार कॉलेज के दोस्तों ने उसे ब्राउन शुगर और इंजेक्शन से नशे की आदत डाल दी थी। फिर वह इसका इतना आदी हो गया कि रोज दो हजार रुपए सिर्फ नशे के लिए चाहिए रहते थे। इतने रुपए वह कहां से लाता? पिता एक फैक्टरी में सीनियर मैनेजर हैं लेकिन उनसे इतने पैसे क्या बोलकर लेता? तब उसने घर में चोरी शुरू की। प्लॉट की दलाली में उतरा और कई लोगों को धोखा दिया। ऋषि ने बताया कि उसे हर हाल में पैसा चाहिए था ।
 
अलर्ट रहें… इन संकेतों को न करें नजरअंदाज
-घर से सामान गायब होने लगे।
-बेटा/बेटी कमरे में जरूरत से ज्यादा समय बिताएं।
-वे गुमसुम नजर आने लगें।
-उनका खानपान कम होने लगे।
-आंखों में सूजन बनी रहे।
 
 
 
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