नवरात्रि में इस विधि से करें आरती, सभी दुखों को हर लेगी माँ होगा लाभ हो लाभ…

नवरात्रि का चौथा दिन माता कूष्माण्डा को समर्पित होता हैं और सभी मंदिरों में और घरों में माता कूष्माण्डा की सेवा और आरती की जाती हैं। पुराणों के अनुसार माता कूष्माण्डा ने ही संसार की रचना की। अपने मुख के तेज और मुस्कान से सभी दुखों को हरने वाली माता कूष्माण्डा, सूर्यलोक में निवास करती हैं। अगर आप भी माता कूष्माण्डा का आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो विधिपूर्वक पूजन कर मातारानी की आरती करें। आज हम आपको माता कूष्माण्डा की आरती बताने जा रहे हैं। तो आइये जानते हैं माता कूष्माण्डा की आरती। 

* माता कूष्माण्डा की आरती

नवरात्री खत्म होते ही इन 6 राशियों की ज़िंदगी में आएगी माँ काली की कृपा, बदलेगी किस्मत

कुष्मांडा जय जग सुखदानी, मुझ पर दया करो महारानी।
पिंगला ज्वालामुखी निराली, शाकम्बरी माँ भोली भाली।
लाखो नाम निराले तेरे, भगत कई मतवाले तेरे।
भीमा पर्वत पर है डेरा, स्वीकारो प्रणाम ये मेरा।
संब की सुनती हो जगदम्बे, सुख पौचाती हो माँ अम्बे।
तेरे दर्शन का मै प्यासा, पूर्ण कर दो मेरी आशा।
माँ के मन मै ममता भारी, क्यों ना सुनेगी अर्ज हमारी।
तेरे दर पर किया है डेरा, दूर करो माँ संकट मेरा।
मेरे कारज पुरे कर दो, मेरे तुम भंडारे भर दो।
तेरा दास तुझे ही ध्याये, ‘भक्त’ तेरे दर शीश झुकाए।।

Back to top button