नए सत्र से इलाहाबाद विश्वविद्यालय और कॉलेजों में बढ़ेंगी सीटें

केंद्रीय विश्वविद्यालयों और उनके संघटक महाविद्यालयों में नए सत्र 2019-20 से गरीब सवर्णों को दस फीसदी आरक्षण की व्यवस्था लागू कर दी जाएगी। इनमें इलाहाबाद विश्वविद्यालय और उसके संघटक महाविद्यालय भी शामिल हैं। इस बाबत यूजीसी की ओर से आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।नए सत्र से इलाहाबाद विश्वविद्यालय और कॉलेजों में बढ़ेंगी सीटें

निर्देश में कहा गया है कि गरीब सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण व्यवस्था इस तरह से लागू की जाए कि ओबीसी, एससी एवं एसटी के लिए निर्धारित आरक्षण प्रभावित न हो। इसके साथ ही शिक्षण संस्थान के मुखिया पर यह निर्णय छोड़ दिया गया है कि वह इसे किस तरह से लागू करते हैं। मसलन, शिक्षण स्थान की वित्तीय, भौतिक एवं शैक्षणिक व्यवस्था इस स्तर की नहीं है कि सीटों की संख्या बढ़ाई जा सके तो इसमें सुधार के लिए दो साल तक इंतजार किया जा सकता है। यूजीसी की ओर से जारी दिशा-निर्देशों को लेकर इविवि के शिक्षक भी असमंजस की स्थिति में है। ऐसे में इविवि प्रशासन के लिए नई आरक्षण व्यवस्था को लागू करना किसी चुनौती से कम नहीं होगा।

यूजीसी की ओर से जारी निर्देश में कहा गया है कि इंस्टीट्यूशन ऑफ एक्सलेंस पर नई आरक्षण व्यवस्था लागू नहीं होगी। यूजीसी ने ऐसे संस्थानों की सूची भी जारी की है, जिनमें हरिश्चंद्र रिसर्च इंस्टीट्यूट (एचआरआई), इलाहाबाद का नाम भी शामिल है।

 नौकरियों में दस गरीब सवर्णों को दस फीसदी आरक्षण का लाभ दिए जाने को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग हो या उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग, नए विज्ञापन अब नई आरक्षण व्यवस्था के आधार पर जारी किए जाएंगे। विज्ञापन जारी करने से पहले पदों के आरक्षण की समीक्षा होगी। अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है कि आरक्षण निर्धारण किस तरह से होगा। अफसरों को भी शासन से विस्तृत दिशा-निर्देश मिलने का इंतजार है। ऐसे में चर्चा है कि आने वाले समय में कई भर्ती परीक्षाओं के आयोजन में बाधा आ सकती है और अभ्यर्थियों को नई भर्ती परीक्षाओं के लिए लंबा इंतजार करना पड़ सकता है।

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