द्रयान-2 अभियान के लिए कानपुर आईआईटी ने इसरो की महत्वपूर्ण सहायता की….

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) कानपुर के नाम आज एक बड़ी उपलब्धि जुड़ गई। आज चंद्रयान-2 को आइआइटी कानपुर के योगदान से बड़ा मुकाम मिला है। इस सफलता से आइआइटी कानपुर के प्रोफेसर आशीष दत्ता इससे काफी उत्साहित हैं। इसरो के चंद्रयान-2 अभियान के लिए कानपुर आईआईटी ने इसरो की महत्वपूर्ण सहायता की है। 2009 में कानपुर आईआईटी और इसरो के बीच दो एएमयू साइन किए गए थे।

जिसमें पहला एएमयू चंद्रयान -2 के लिए मैप बनाने का और दूसरा एएमयू रास्ता दिखाने के लिए साइन किया गया था, जिसे कानपुर आईआईटी के वैज्ञानिकों ने बनाकर इसरो को दिया है। आईआईटी कानपुर में पढ़ाने वाले प्रोफेसर के ए वेंकटेश और प्रोफेसर आशीष दत्ता ने कई वर्षों की मेहनत से ये प्रोजेक्ट तैयार किया है। प्रोफेसर आशीष दत्ता न बताया है कि अंतरिक्ष परियोजना चंद्रयान-2 के चांद पर पहुंचते ही मोशन प्लानिंग का काम आरंभ हो जाएगा।

प्रोफेसर आशीष दत्ता ने बताया कि चंद्रयान 2 में आइआइटी कानपुर में तैयार दो प्रमुख प्रणालिया हैं। इसका मैप जनरेशन और पाथ प्लानिंग का सिस्टम यहां पर तैयार किया गया है। इसके लिए आइआइटी कानपुर तथा इसरो (इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाइगेशन) के बीच करार हुआ था। हमने सब-सिस्टम, सॉफ्टवेयर और एल्गोरिथम विकास के लिए एओयू पर हस्ताक्षर किया था।

चंद्रयान टू के अहम पाट्र्स आईआईटी कानपुर की टीम ने डेवलप किया है। इसमें अहम मॉड््यूल रोवर को कंट्रोल करने के लिए मोशन प्लानिंग पर आईआईटी के सीनियर प्रोफेसर्स ने काम किया है। भारत चंद्रमा की सतह के कई रहस्यों को सुलझाने के लिए भारत अपने दूसरे चंद्र अभियान चंद्रयान-2 को रवाना करेगा। इसरो की ओर से इसका एनाउंसमेंट कर दिया गया है। दुनिया भर की निगाहें इसरो के इस अभियान पर लगी हुई हैं। इसके साथ ही कानपुर तथा उत्तर प्रदेश के लोगों के लिए भी यह गर्व करने वाला क्षण है।

आइआइटी कानपुर कैंपस में चन्द्रयान टू के कई अहम पाट्र्स डेवलप किए गए हैं। जिसमें मोशन प्लानिंग सबसे अहम है। यानि चन्द्रमा की सतह पर रोवर कैसे, कब और कहां जाएगा। इसके साथ ही ज्यादा एनर्जी खर्च न होने वाला सिस्टम डेवलप किया गया है। इस सिस्टम को डेवलप करने में आईआईटी कानपुर के इलेक्ट्रिकल व मैकेनिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के दो सीनियर प्रोफेसरों की टीम ने काम किया है।

शार्ट कट पाथ के साथ पॉवर भी बचाएगा

अंतरिक्ष यान का द्रव्यमान 3.8 टन है। इसमें तीन अहम मॉड्यूल हैं ऑर्बिटर, लैंडर(विक्रम) और रोवर(प्रज्ञान)। कानपुर आईआईटी के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के प्रोफेसर केए वेंकटेश व मैकेनिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के सीनियर प्रो. आशीष दत्ता ने मोशन प्लानिंग सिस्टम पर वर्क किया है। चन्द्रयान टू के चंद्रमा की सतह पर उतरते ही रोवर यानि मोशन प्लानिंग का काम शुरू हो जाएगा। चन्द्रमा की सतह पर कैसे मूव करेगा, किधर से जाएगा और एनर्जी कम से कम खर्च हो। मोशन प्लानिंग रोवर को टारगेट तक सुरक्षित रास्ता दिखाएगा। इसरो की सहायता करके चांद के तमाम राज को विश्व के सामने लाने में इस बार कानपुर का आईआईटी अहम् भूमिका निभाएगा।

सबसे पहले चंद्रयान 2 में लगा विशेष रोवर पहुंचते ही वहां की थोड़े समय में मैपिंग करेगा उसके बाद वो रूट का चार्ट भी तैयार करेगा। रूट के चार्ट बनाते समय दो तरह की लाइनें बनेंगी। अगर रास्ता सीधा है तो सीधी लाइन बनेगी और रास्ता अगर जिगजैग है तो उसी रास्ते के हिसाब से लाइन भी टेढ़ी बनेगी।

दस साल पहले किया था डेवलप

मैकेनिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के सीनियर प्रोफेसर डॉ. आशीष दत्ता ने बताया कि करीब दस वर्ष पहले चन्द्रमा पर भेजने के लिए लूनर रोवर डेवलप किया था। बाद में उसे चांद पर नहीं भेजा गया था। यह लूनर रोवर प्रो दत्ता ने इयर 2008-9 में डेवलप किया था। जिसे कि आईआईटी के टेक्निकल फेस्ट टेककृति मेंं आम लोगों को देखने के लिए रखा गया था।

देश के लिए गौरवान्वित करने वाले इस खास मिशन में कानपुर आईआईटी के वैज्ञानिकों की भूमिका काफी अहम है। यहीं के वैज्ञानिकों ने इस मिशन के लिए सबसे महत्वपूर्ण सॉफ्टवेयर तैयार किया है। यह सॉफ्टवेयर मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. आशीष दत्ता व इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. केएस वेंकटेश ने बनाया है। इसे मोशन प्लानिंग और मैपिंग जेनरेशन सॉफ्टवेयर नाम दिया गया है। यह वह सॉफ्टवेयर है जो चंद्रयान-2 के छह पहिए वाले रोवर ‘प्रज्ञान’ को चांद की सतह पर रास्ता दिखाएगा जिसके जरिए प्रज्ञान चांद पर पानी व खनिज की तलाश करेगा। वहां की स्थिति का फोटो खींचकर इसरो को भेजेगा।

रोवर को हर बाधाओं से करेगा आगाह

आईआईटी वैज्ञानिकों का यह सॉफ्टवेयर रोवर का मूवमेंट तो तय करेगा ही साथ में उसका रूट भी निर्धारित करेगा, जिससे ऊर्जा खपत सबसे कम हो। रोवर को टारगेट तक पहुंचाने के लिए उसे बीच में पडऩे वाले सभी बाधाओं से भी आगाह करेगा। इसका संचालन 20 वॉट की सौर व बैटरी की ऊर्जा से होगा। यह सॉफ्टवेयर प्रज्ञान को चांद की सतह में खुदाई कर पानी व केमिकल तलाशने में भी मदद करेगा।

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