कुछ के कागज अधूरे, कुछ के पूरे,दो माह के भीतर तीन दफा टेंडर बुलाए, फिर भी नहीं मिला ठेका

दो माह में तीन दफा बुलाए चुके टेंडर, फिर भी अब तक किसी को नहीं मिला ठेका

भोपाल। जिला प्रशासन के प्रोटोकाल शाखा के अलावा अन्य विभागों के लिए वाहनों की उपलब्धता बनाने दो माह के भीतर तीन दफा टेंडर बुलाए जा चुके हैं। बावजूद इसके जिला प्रशासन ठेका तय नहीं कर सका। खास बात यह है कि दो माह पहले जब पहली दफा टेंडर बुलाए गए थे, उस समय एक ही कंपनी द्वारा टेंडर भरा गया। लेकिन बाद में दो बार जब टेंडर बुलाए गए तो यह नहीं बताया जा सका कि आखिर मामला कहां अटका है। आज भी पुरानी दरों पर ही वाहनों का उपयोग प्रोटोकाल या अन्य कार्यों के लिए किया जा रहा है।

कुछ के कागज अधूरे, कुछ के पूरे:

प्रारंभिक जानकारी में यह पता चला कि आखिरी दो बार में बुलाए टेंडरों में तीन कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा है। इनमें से दो फर्मो के दस्तावेजों में कमी है। लेकिन एक फर्म के पास सभी तरह के मांगे गए दस्तावेज उपलब्ध हैं। ठेका खोलने के लिए अपर कलेक्टर स्तर पर प्रक्रिया को पूरा किया जाना है। लेकिन उनके द्वारा ही हीलाहवाली बरती जा रही है। कुछ इसी तरह की लापरवाही रोजाना होने वाले कार्यो में भी देखने मिल रही हैं।

पहले भी हो चुका गोलमाल:

जिला प्रशासन में तत्कालीन अपर कलेक्टरों के रहते चहेते ठेकेदारों को ठेका देना और बाद में प्रस्तुत होने वाले बिलों में गोलमाल सिद्ध हो चुका है। तत्कालीन अपर कलेक्टर छोटे सिंह के कार्यकाल में बड़ी गड़बड़ी पकड़ी गई थी। हालांकि इस मामले में जांच के बाद ठेकेदार से वसूली नहीं हो सकी। वहीं अधिकारी का तबादला होने के बाद मामला शांत हो गया।

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