दुनिया की पहली क्लोन पश्मीना बकरी नूरी अब इस दुनिया में नहीं रही..

उसका पोस्टमार्टम किया गया है और रिपोर्ट अभी आना बाकी है। डा. रियाज शाह ने बताया कि नूरी ने सात बच्चों को जन्म दिया था। इनमें से तीन की मौत हो गई थी। चार जिंदा हैं और इनमें एक नर व तीन मादा हैं।

 दुनिया की पहली क्लोन पश्मीना बकरी नूरी अब इस दुनिया में नहीं रही। 15 मार्च को उसने अंतिम सांस ली है। इसे महज संयोग ही है कि क्लोन तकनीक से नूरी का जन्म भी मार्च, 2012 में ही हुआ था। नूरी 11 वर्ष तक जिंदा रही और पश्मीना बकरियों की आयु भी सामान्य तौर पर 11-12 वर्ष ही होती है। शेरे ए कश्मीर कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (स्कास्ट) में प्राणि बायो तकनीक विभाग के प्रमुख विज्ञान डा. रियाज शाह ने नूरी की मौत की पुष्टि की है।

क्लोन तकनीक से पश्मीना बकरी पैदा का अभियान स्कास्ट श्रीनगर में डा. रियाज शाह के निर्देशन में ही चला था और दो वर्ष की मेहनत के बाद 2012 में यह प्रयोग नूरी के जन्म के साथ सफल रहा। स्कास्ट के शुहामा स्थित केंद्र में नूरी की मौत हुई है। वह पैदा भी इसी केंद्र में हुई थी।

उसका पोस्टमार्टम किया गया है और रिपोर्ट अभी आना बाकी है। डा. रियाज शाह ने बताया कि नूरी ने सात बच्चों को जन्म दिया था। इनमें से तीन की मौत हो गई थी।

चार जिंदा हैं और इनमें एक नर व तीन मादा हैं। शुहामा केंद्र में इस समय क्लोन तकनीक से तैयार 25 पश्मीना बकरियां हैं। डा. रियाज ने कहा कि नूरी की मौत से हमारी पूरी टीम दुखी है। पश्मीना बकरियां सिर्फ लद्दाख प्रदेश में ही हैं और इनकी आबादी लगातार घट रही है।

नूरी ने हमें निचले पहाड़ी इलाकों में भी पश्मीना बकरियों को पालने की राह दिखाई है। मुझे वह दिन आज भी याद है कि अपने जन्म के कुछ दिन बाद नूरी चलने लायक हुई थी तो हम उसे लेकर श्रीनगर स्थित सचिवालय में तत्कालीन मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के पास भी गए थे।

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