दिल्ली में बद से बदतर हुए यमुना के हालात, नदीं में बैक्टीरिया का स्तर 4000 गुना ज़्यादा

मानसून से एक तरफ जहां दिल्ली की हवा थोड़ी साफ हुई है वहीं दूसरी तरफ यमुना नदी के हालत लगातार खराब हो रहे हैं। नदी में सफेद झाग और बढ़ते प्रदूषण से यमुना नदी के हालात बद से बदतर हो गए हैं। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) की नई रिपोर्ट में सामने आई तस्वीर बेहद चिंताजनक है।

बैक्टीरिया का लैवल 4000 गुना बढ़ा-
डीपीसीसी की हालिया रिपोर्ट के अनुसार जून की तुलना में यमुना नदी की गुणवत्ता में तेज़ी से गिरावट आई है। सबसे चिंताजनक बात Faecal Coliform का बढ़ता स्तर है, जो सीधे तौर पर अनुपचारित सीवेज की मौजूदगी को दर्शाता है।

यह बैक्टीरिया की मौजूदगी का एक अहम इंटीकेशन है। रिपोर्ट में पाया गया है कि फेकल कोलीफॉर्म का स्तर CPCB द्वारा निर्धारित 2,500 एमपीएन/100 मिलीलीटर की सुरक्षित सीमा से लगभग 4,000 गुना अधिक है। यह आंकड़े दर्शाते हैं कि दिल्ली की जीवनदायिनी कही जाने वाली यमुना एक बड़े सीवेज नाले में तब्दील हो रही है।

बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड में भी हो रही है बढ़ोतरी-
जल गुणवत्ता के एक और महत्वपूर्ण मानदंड बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड का स्तर भी काफी बढ़ गया है। बीओडी पानी में कार्बनिक पदार्थों को तोड़ने के लिए आवश्यक ऑक्सीजन की मात्रा को मापता है। पल्ला में, जहाँ नदी दिल्ली में प्रवेश करती है वहां पर बीओडी 8 मिलीग्राम/लीटर दर्ज किया गया है, जो सीपीसीबी की 3 मिलीग्राम/लीटर या उससे कम की सुरक्षित सीमा से कहीं ज़्यादा है।

जुलाई के आंकड़े बताते हैं कि कार्बनिक प्रदूषण में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। खासकर पल्ला और आईटीओ के बीच यह 70 मिग्रा/लीटर तक पहुंच गया है। जबकि असगरपुर में जहाँ नदी दिल्ली से निकलती है, वहाँ थोड़ा सुधार (24 मिग्रा/लीटर) ज़रूर दिखाई देता है, लेकिन यह अभी भी सुरक्षित सीमा से काफी ज़्यादा है। जून में इन्हीं स्थानों पर बीओडी का स्तर कम था, जैसे पल्ला में 5 मिलीग्राम/लीटर और आईटीओ में 46 मिलीग्राम/लीटर था। यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि मानसून के दौरान दिल्ली से निकलने वाले सीवेज का बड़ा हिस्सा सीधे यमुना में मिल रहा है।

घटती घुलित ऑक्सीजन और मल कोलीफॉर्म का कहर
मछलियों और अन्य जलीय जीवन के लिए आवश्यक Dissolved Oxygen का स्तर भी चिंताजनक बना हुआ है, जिसमें पिछले महीने गिरावट देखी गई है। वहीं मल कोलीफॉर्म के स्तर ने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। आईटीओ ब्रिज पर यह 92,00,000 एमपीएन/100 मिलीलीटर दर्ज किया गया है, जो कि निर्धारित सुरक्षित लिमिट से 4,000 गुना ज्यादा है।

अन्य स्थानों जैसे आईएसबीटी पुल (28,00,000), निजामुद्दीन पुल (11,00,000) और ओखला बैराज (22,00,000) पर भी यह आंकड़ा सुरक्षित सीमा से 1000 गुना ज्यादा पाया गया है। यह दर्शाता है कि दिल्ली से निकलने वाले 22 नाले सीधे नदी में गिरकर उसे प्रदूषित कर रहे हैं।

हर महीने की रिपोर्ट और बढ़ता प्रदूषण
डीपीसीसी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशों के तहत दिल्ली के यमुना क्षेत्र में 8 अलग-अलग स्थानों पर नदी के पानी के नमूनों का परीक्षण करती है और हर महीने इसकी रिपोर्ट पेश करती है। जुलाई 2024 की रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि प्रदूषण में साल-दर-साल भारी बढ़ोतरी हुई है।

जहां पिछले साल असगरपुर में सबसे खराब प्रदूषण दर्ज किया गया था, वहीं इस साल आईटीओ सबसे प्रदूषित स्थान बनकर उभरा है। यह आंकड़े दिल्ली सरकार और संबंधित अधिकारियों के लिए एक गंभीर चुनौती पेश करते हैं कि वे यमुना को प्रदूषण मुक्त करने के लिए तुरंत प्रभावी कदम उठाएं।

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