अब दिल्ली में प्राइवेट हो या सरकारी हर तरह के अस्पताल में एक्सीडेंट के शिकार लोगों का होगा फ्री में इलाज
दिल्ली में अब कोई भी सड़क हादसा हो या आगजनी व एसिड अटैक हो तो पीड़ितों के इलाज का खर्च दिल्ली सरकार उठाएगी। इसके दायरे में दिल्ली की सीमा में होने वाली दुर्घटनाओं के सभी पीड़ित शामिल होंगे। इसके सहारे दुर्घटना पीड़ित सरकारी या निजी अस्पताल में इलाज करा सकेंगे। इसके लिए दिल्ली सरकार ने दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं जो आज यानी 17 फरवरी से लागू हो गए हैं। सत्येंद्र जैन के अनुसार इस योजना के तहत सड़क दुर्घटना में चोटिल के निजी या सरकारी अस्पताल में होने वाले इजाज का खर्च सरकार उठाएगी। इसका मकसद पीड़ित को तत्काल नजदीकी अस्पताल में इलाज सुनिश्चित करना है।
खास बात यह कि इस मामले में इस बात से फर्क नहीं पड़ेगा कि दुर्घटना का शिकार शख्स दिल्ली का है या दिल्ली से बाहर का। सिर्फ उसकी एमएलसी दिल्ली पुलिस की होनी चाहिए। सरकार का मानना है कि सरकारी गारंटी होने पर अस्पताल इलाज में ना-नुकुर भी नहीं करेगा।
इलाज के खर्च की कोई सीमा तय नहीं की गई है
जब इस रिपोर्ट को कैबिनेट की मंजूरी मिली थी तो एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा था कि दिल्ली की सड़कों पर हर साल आठ हजार से ज्यादा सड़क हादसे होते हैं। इसमें 15-16,000 लोग चपेट में आते हैं। इनमें से करीब 10 फीसदी पीड़ितों की मौत हो जाती है।
इसकी बड़ी वजह यह है कि दुर्घटना के बाद का गोल्डेन आवर (हादसे का शुरुआती एक घंटा) इसी फैसले में गुजर जाता है कि पीड़ित का उपचार किसी अस्पताल में कराया जाए। ऐसे मौके पर अमूमन सरकारी अस्पताल खोजा जाता है। लेकिन अब योजना लागू होने के बाद अब निजी अस्पतालों में भी यह सुविधा मिल जाएगी।
सत्येंद्र जैन ने बताया कि बीते दो तीन महीनों से इसकी तैयारी की जा रही थी। इसमें आगजनी व एसिड के दुर्घटना पीड़ित भी शामिल होंगे। इसमें खर्च की कोई सीमा सरकार ने नहीं रखी है। योजना के तहत कोशिश लोगों की जान बचाने की है।
जानिए किसको मिलेगी मदद
सत्येंद्र जैन ने बताया कि दुर्घटना पीड़ितों को अस्पताल तक पहुंचाने वाले लोगों को दो हजार रुपये राहत के तौर पर देने की योजना को पहले ही मंजूरी दे दी गई है।
मॉनीटरिंग एंड इवैल्यूएशन यूनिट को कैबिनेट की मंजूरी
मंगलवार मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में वित्त व योजना विभाग के मॉनीटरिंग एंड इवैल्यूएशन यूनिट के पुनर्निर्माण को मंजूरी मिल गई। इससे सरकारी नीतियों का बेहतर तरीके से निर्माण होने के साथ इनका क्रियान्वयन भी संभव होगा।
किसको मिलेगी मदद
– दिल्ली में होने वाली दुर्घटनओं के सभी पीड़ित योजना के दायरे में होंगे
– सरकारी के साथ निजी अस्पतालों में होने वाले खर्च की अधिकतम कोई सीमा नहीं
डाटा
8000 सड़क हादसे होते हैं दिल्ली में एक साल में
15-16,000 लोग हादसों की चपेट में आते हैं।
10 फीसदी पीड़ितों की हो जाती है मौत