दस्‍तावेजों में भगत सिंह को ‘शहीद’ मानने की तैयारी में मोदी सरकार

केंद्र सरकार क्रांतिकारी भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को दस्‍तावेजों में शहीद मानने की तैयारी में जुट गई है. इसके लिए गृह मंत्रालय ने काम शुरू कर दिया है.भगत सिंह को शहीद का दर्जा दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे उनके प्रपौत्र एवं शहीद भगत सिंह ब्रिगेड के प्रमुख यादवेंद्र सिंह संधू भी मौजूद रहे.

आजादी के 70 साल बाद भी शहीद क्‍यों नहीं माने जाते भगत सिंह?

उन्‍होंने बताया कि 2013 और 2016 में इस बावत डाली गई आरटीआई के जवाब और राज्‍य सभा की कार्यवाही के आधार पर केंद्र सरकार फैसला लेगी. शहीदी दिवस के दिन 23 मार्च को हमने ‘आजादी के 70 साल बाद भी शहीद क्‍यों नहीं माने जाते भगत सिंह?’ शीर्षक से खबर लगाई थी.

हिंदी न्‍यूज 18 डॉटकॉम से खास बातचीत में अहीर ने कहा कि अंग्रेजों ने उन्‍हें भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को क्रांतिकारी आतंकी कहा था, लेकिन आजाद भारत में तो हम ऐसा नहीं कह सकते. इसलिए अब गृह मंत्रालय सभी जगहों पर रिकार्ड में सुधार करवाने का काम करेगा.संधू ने उम्‍मीद जाहिर की है कि मोदी सरकार इस मांग को पूरा करेगी. जिस तरह से गृह राज्‍य मंत्री ने इस मसले को लेकर संजीदगी दिखाई है उसे देखते हुए लगता है कि सरकार इस बारे में काम करना चाहती है.

मोदी ने भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को याद किया

रविवार को पीएम नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’  में कहा, भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु के बलिदान की गाथा को हम शब्दों में अलंकृत भी नहीं कर पाएंगे. ये तीनों वीर आज भी हम सबकी प्रेरणा के स्त्रोत हैं. तीनों वीरों की बहादुरी ब्रिटिश सरकार को डराती थी इसलिए अंग्रेजों ने भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु को तय दिन से एक दिन पहले ही फांसी दे थी और उनकी लाश को चुपचाप जला दिया था.

सदन में माना, लेकिन रिकार्ड नहीं सुधारा

आरटीआई पर मनमोहन सरकार के दौरान राज्‍य सभा सांसद केसी त्‍यागी ने 19 अगस्‍त 2013 को सदन में यह मुद्दा उठाया था. जवाब में तत्‍कालीन संसदीय कार्य राज्‍य मंत्री राजीव शुक्‍ला ने कहा था कि सरकार पूरी तरह से भगत सिंह को शहीद मानती है और उन्‍हें शहीद का दर्जा देती है. लेकिन इसके बाद भी सरकारी दस्‍तावेजों में यह सुधार नहीं किया गया. त्‍यागी का कहना है कि संसद में की गई इस घोषणा पर अब तक अमल हो जाना चाहिए था, लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ है तो दुर्भाग्यपूर्ण है.

Back to top button