थायरॉइड के मरीजों को होता है फ्रोजन शोल्डर (कंधों की अकड़न) का खतरा

थायरॉइड के मरीज को अगर कंधों में तेज दर्द हो, हाथों को घुमाने या उठाने में परेशानी हो, तो ये फ्रोजन शोल्डर के लक्षण हो सकते हैं। थायरॉइड होने पर व्यक्ति को कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिनमें से फ्रोजन शोल्डर (कंधों में अकड़न) भी एक है। चिकित्सक थायरॉइड को ‘साइलेंट किलर’ बीमारी मानते हैं, क्योंकि इसके लक्षण बहुत देर में नजर आते हैं।

कंधों में मौजूद हड्डियां, लिगामेंट्स और टेंडन्स टिशूज (ऊतकों) के माध्यम से आपस में बंधे होते हैं। जब इन टिशूज में सूजन आ जाती है, तो फ्रोजन शोल्डर की समस्या होती है, जिसके कारण कंधों के जोड़ों में दर्द होने लगता है। ये समस्या हाइपरथायरॉइडिज्म और हाइपोथायरॉइडिज्म दोनों तरह के थायरॉइड के मरीजों को हो सकती है। 40-60 साल की महिलाओं में इसका खतरा ज्यादा होता है।

क्या हैं फ्रोजन शोल्डर (कंधे की अकड़न) के लक्षण

थायरॉइड के मरीजों में फ्रोजन शोल्डर की समस्या धीरे-धीरे शुरू होती है। शुरुआत में व्यक्ति को कुछ महीनों तक कंधों में हल्का-फुल्का दर्द होता है, लेकिन धीरे-धीरे ये दर्द बढ़ता जाता है और व्यक्ति फ्रीजिंग स्टेज में पहुंच जाता है।

फ्रीजिंग स्टेज

फ्रीजिंग स्टेज में व्यक्ति को सबसे ज्यादा दर्द होता है। इस स्टेज में बालों को कंघी करने, सिर पर तेल लगाने, हाथ उठाने, उंचाई का सामान उठाने आदि में परेशानी होती है और कंधे साथ नहीं देते हैं। इसके अलावा कई बार व्यक्ति ठीक से सो भी नहीं पाता है। हाथों को ज्यादा लंबाई तक घुमाना भी मुश्किल हो जाता है।

फ्रोजन स्टेज

फ्रीजिंग स्टेज के बाद व्यक्ति फ्रोजन स्टेज में पहुंचता है। इसमें व्यक्ति के कंधों का हिलना-डुलना लगभग बंद हो जाता है। यहां तक कि हाथों को आगे-पीछे करने या चलने के दौरान भी व्यक्ति को भयंकर पीड़ा होती है। कंधों को एक जगह स्थिर रखने पर दर्द नहीं होता है। इसलिए फ्रोजन स्टेज में व्यक्ति अपने हाथों से कुछ भी करने में सक्षम नहीं रह जाता है।

थॉइंग स्टेज

धीरे-धीरे इस स्टेज में कंधों के टिशूज की सूजन कम होने लगती है और व्यक्ति का दर्द कम होने लगता है। इस स्टेज में आपके हाथों का थोड़ा-बहुत मूवमेंट शुरू हो जाता है।

कैसे की जाती है फ्रोजन शोल्डर की जांच

फ्रोजन शोल्डर के मुख्य लक्षण कंधों में तेज दर्द और हाथों को हिलाने-डुलाने में समस्या है। मगर यही लक्षण कुछ अन्य समस्याओं जैसे- रोटेटर कफ, मांसपेशियों में खिंचाव आदि में भी दिखते हैं। इसलिए चिकित्सक कुछ जांच के बाद ही इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि व्यक्ति को थायरॉइड की समस्या है। इसकी जांच के लिए अल्ट्रासाउंड और एमआरआई जांचें की जाती हैं।

फ्रोजन शोल्डर (कंधे की अकड़न) का इलाज

एक बार फ्रोजन शोल्डर का पता चल जाने पर इसका इलाज शुरू किया जा सकता है। आमतौर पर डॉक्टर इस स्थिति में सबसे पहले कार्टिसोन इंजेक्शन लगाते हैं, जिससे टिशूज की सूजन में थोड़ा कमी आए। इसके अलावा कुछ फिजिकल थेरेपीज की मदद से इस समस्या को कम किया जा सकता है। कुछ बेहद गंभीर मामलों में सर्जरी की भी जरूरत पड़ती है।

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