…तो इस वजह से नाराज हुए उत्तराखंड विधानसभा के अध्यक्ष

देहरादून : उत्तराखंड विधानसभा के अध्यक्ष प्रेम चन्द अग्रवाल बुधवार को राज्य की अफसरशाही से खासा नाराज दिखे. यहां तक कि नाराज स्पीकर ने विधानसभा में बुलाई गई गैरसैंण विकास परिषद की बैठक ही स्थगित कर दी. अधिकारियों के रवैये से खफा हुए विधानसभा अध्यक्ष ने अधिकारियों के रुख पर अपनी सख्त नाराजगी भी जताई. अब गुरुवार (20 दिसंबर) की बैठक के लिए अधिकारियों को अल्टीमेटम दे दिया गया है. 

दरअसल, हुआ यूं कि बुधवार को विधानसभा में विधानसभा अध्यक्ष ने गैरसैंण विकास परिषद की बैठक बुलाई थी. बैठक शाम 3:30 बजे से होनी थी. बैठक के लिए सभी संबंधित अधिकारियों को पहले ही सूचित दिया गया था. तय समय पर विधानसभा अध्यक्ष बैठक लेने के लिए विधानसभा पहुंचे. उनके साथ ही बीजेपी के विधायक महेश नेगी और सुरेंद्र सिंह नेगी जो कि दोनों इस परिषद में सदस्य हैं वह भी इस बैठक के लिए बैठक कक्ष में पहुंच गए. लेकिन बैठक शुरू होने से पहले ही अध्यक्ष ने देखा कि जिन अधिकारियों को बैठक में आना था. उनकी बजाए उनके अधीनस्थ अधिकारी बैठक में पहुंचे हैं. इस पर जब अधीनस्थ अधिकारियों से वरिष्ठ अधिकारी के न पहुंचने की वजह पूछी गई तो वे जवाब न दे सके. इस पर स्पीकर नाराज हो गए और उन्होंने बैठक स्थगित कर दी.  

गैरसैण विकास परिषद की की बैठक के लिए शासन और जिले के करीब 12 वरिष्ठ अधिकारियों को बुलाया गया था. लेकिन हैरानी की बात है कि इन 12 में से 9 अधिकारी बैठक में नहीं पहुंचे बल्कि अपने स्थान पर अपने अधीनस्थ अधिकारियों को बैठक के लिए भेज दिया. चमोली और अल्मोड़ा दोनों जिलों के जिलाधिकारी भी बैठक में नहीं आए . 

पत्र लिख कर चुके हैं शिकायत
पहले भी कई बार विधायक विधानसभा अध्यक्ष से खुद के प्रोटोकोल या फिर अधिकारियों के रवैए को लेकर शिकायत कर चुके हैं और विधायकों की शिकायत के बिना पर स्पीकर ने मुख्य सचिव को पत्र भी लिखा है. सूत्रों के मुताबिक, इस पत्र में विधायकों को समुचित प्रोटोकोल दिए जाने व अधिकारियों द्वारा उनकी बात सुने जाने का जिक्र है. लेकिन हैरानी की बात तो यह है कि जब अधिकारी विधानसभा अध्यक्ष द्वारा बुलाई गई बैठक में ही नहीं पहुंच रहे हैं तो फिर बखूबी अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह अन्य जनप्रतिनिधियों या विधायकों की क्या सुनते होंगे.  

मुख्यमंत्री से होगी ऐसे अधिकारियों की शिकायत
गैरसैंण विकास परिषद के सदस्य के तौर पर बीजेपी के विधायक महेश नेगी व सुरेंद्र सिंह नेगी दोनों ही इस बैठक के लिए देहरादून पहुंचे. लेकिन अधिकारियों के रुख को देखकर दोनों ही विधायक बड़े खफा नजर आए और उन्होंने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री से करने की बात कही, साथ ही यह भी कहा कि ऐसे अधिकारियों पर कार्रवाई की जानी चाहिए. 

गैरसैंण बीजेपी सरकार की प्राथमिकता
गैरसैंण प्रदेश की बीजेपी सरकार की प्राथमिकता में शामिल है. दरअसल गैरसैंण राज्य गठन के दौरान से ही उत्तराखंड के केंद्र बिंदु में रहा है और पहाड़ की जनता की मांग गैरसैंण में राजधानी बनाने को लेकर है.  हालांकि, 18 सालों के बाद भी उत्तराखंड की राजधानी का फैसला नहीं हो पाया है लेकिन बावजूद उसके सियासी दलों के लिए गैरसैंण हमेशा से ही सियासत का बड़ा मुद्दा रहा है. मौजूदा सरकार गैरसैण को प्राथमिकता पर रखने की बात कहती है लेकिन जिस नौकरशाही के कंधों पर सरकार की योजनाओं को अमल में लाने का जिम्मा है अगर गैरसैंण को लेकर उसका ऐसा ही गैरों जैसा रवैया रहा तो फिर कैसे सूबे की बीजेपी सरकार की मंशा सफल होगी बखूबी अंदाजा लगाया जा सकता है. 

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