…तो इसलिए 2019 लोकसभा चुनाव के नतीजों को लेकर निश्चित नहीं हैं मोहन भागवत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने इंटरव्यू में कहा था कि राम मंदिर पर अध्यादेश तभी लाया जा सकता है जब कानूनी प्रक्रिया पूरी हो जाए। पीएम के इस बयान पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, ‘पीएम ने चाहे जो भी कहा हो, इस मसले पर मेरा पक्ष साफ है। हमारी राम में आस्था है और दृढ़ता से इस बात को मानते हैं कि राम मंदिर अयोध्या में उसी स्थान पर बनना चाहिए।’
कार्यक्रम में बोलते हुए भागवत ने लोक सभा चुनावों के परिणाम को लेकर अनिश्चितता जाहिर की। शैक्षणिक नीतियों पर उन्होंने कहा, ‘नीतियों में बदलाव किए जाने चाहिए। ऐसा सुनने में आया था कि एक नई नीति बनाई गई है लेकिन अब ज्यादा समय नहीं बचा है। इसका कार्यान्वयन इस बात पर निर्भर करता है कि भविष्य में चीजें कैसे आकार लेती हैं।’
राम मंदिर निर्माण मामले में संघ परिवार ने ही मोदी सरकार के समक्ष बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। पीएम मोदी के संवैधानिक प्रक्रिया पूरा होने के बाद अध्यादेश पर विचार संबंधी राय के बाद राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ उन्हें पालमपुर में राम मंदिर निर्माण के प्रस्ताव की याद दिलाई है। वहीं विहिप ने दो टूक शब्दों में कहा है कि अदालती फैसले का हिंदू अनंत काल तक इंतजार नहीं कर सकते। खासबात यह है कि राम मंदिर मुद्दे को धार देने केलिए खुद संघ प्रमुख संघ के इतिहास में पहली बार 31 जनवरी को आयोजित विहिप की धर्मसंसद में हिस्सा ले रहे हैं।
इसके बाद संघ ने बयान जारी कर पीएम को पालमपुर में पार्टी के अधिवेशन में प्रस्तावित उस प्रस्ताव की याद दिलाई जिसमें हर कीमत पर राम मंदिर निर्माण की बात कही गई थी। इतना ही नहीं संघ ने यह भी कहा कि हिंदुओं की इच्छा है कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण इसी सरकार के कार्यकाल में हो। इसके अगले दिन विहिप ने भी अपनी सहमति दर्ज कराते हुए राम मंदिर निर्माण के लिए अध्यादेश जारी करने की मांग करते हुए कहा कि आस्थावान हिंदू अनंत काल तक कोर्ट के फैसले का इंतजार नहीं कर सकते।