…तो इसलिए मोदी सरकार कैशलेस इकॉनोमी पर दे रही है जोर

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इन दिनों देश में कैशलेस इकॉनोमी लागू करने पर जोर-शोर से प्रयासरत हैं. हाल ही में केंद सरकार द्वारा कैशलेस पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए कई लोकलुभावन योजनाओं को शुरू किया गया है. मोदी सरकार के इन फैसलों पर पूरे देश में घमासान भी मचा हुआ हैं और चारो ओर बहस और चर्चाओं का माहौल बना हुआ है.

दरअसल बात यह है कि देश की पूरी आबादी में से मात्र एक प्रतिशत लोग ही आयकर देते हैं, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को काफी नुकशान हो रहा है.

बुधवार को नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कान्त ने बताया कि देश की 1.25 अरब की आबादी में से मात्र एक प्रतिशत ही आयकर देते हैं. उन्होंने कहा कि देश की 95 प्रतिशत अर्थव्यवस्था नकद में लेनदेन करती है, जिसे देश वहन नहीं कर सकता.

अमिताभ कान्त आज यहाँ राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) द्वारा नकदीरहित लेनदेन पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे.

उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था को वर्ष 2030 तक यदि मौजूदा 2,000 अरब डालर से 10,000 अरब डॉलर पर पहुंचाने का लक्ष्य यदि हासिल करना है तो भारत की 95 प्रतिशत अर्थव्यवस्था में लेनदेन नकदी में हो यह वहनीय नहीं है.

अमिताभ कान्त ने आगे कहा कि देश में मोबाइल फोन धारकों की संख्या एक अरब से अधिक है जबकि अभी तक एक अरब आधार बायोमेट्रिक्स बनाए जा चुके हैं. उन्होंने कहा कि भारत को दुनिया की शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं में पहुंचाने के लिए सरकार ने पहले ही 26 करोड़ लोगों को प्रधानमंत्री जनधन योजना (पीएमजेडीवाई) से जोड़ा है. 20 करोड़ से अधिक रूपे कार्ड जारी किए जा चुके हैं.नीति आयोग के सीईओ ने कहा कि नकदीरहित लेनदेन की ओर बढ़ने का समय आ गया है.

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