…तो इसलिए प्यास पानी से ही बुझती है और किसी चीज से नहीं!

प्यास लगने का मतलब होता हैं कि शरीर में पानी की कमी हो रही हैं. जब भी हमे प्यास लगती है तो हम पानी की ओर ही भागते हैं. यह क्रिया दिमाग के द्वारा नियंत्रित होती हैं. बहुत बार ऐसा होता है कि हम पानी की जगह कोई भी ड्रिंक ले लेते हैं जिससे उस समय का काम चल जाता है. लेकिन आप जानते हैं कि प्यास बुझाने का काम सिर्फ पानी ही करता है. कई लोगों की प्याज पानी के बिना नहीं बुझती. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि  शरीर में पानी कम होने से रक्त में पानी की कमी होने लगती हैं. जिससे रक्तदाब की समस्या भी सामने आती है.  ...तो इसलिए प्यास पानी से ही बुझती है और किसी चीज से नहीं!

जब ऐसा होने लगता हैं तो विशेष प्रकार की कोशिकाओं द्वारा, जो की मस्तिस्क क्षेत्र में स्थित होती हैं और “ओसमोरिसेप्टर” कहलाती हैं. इससे लार ग्रन्थियां आदि अपना स्त्राव निकलना बंद कर देती हैं. जिससे मुह सूखने लगता हैं और हमें प्यास लगने लगती हैं. जब हम पानी पी लेते हैं, तो इस अवस्था में यही क्रिया विपरीत दिशा में कार्य करने लगती हैं और हमारी प्यास बुझ जाती हैं.

वहीं दूसरी ओर शराब अपने आप में ही ऐसा द्रव हैं, जो पानी को सोखती हैं. यानि शराब से पानी की पूर्ती के बजाय पानी की कमी और होने लगती हैं. इसलिए प्यास लगने पर कभी भी शराब ना पिएं. इनसे एक सीमा तक प्यास बुझने में सहायता मिल सकती हैं, लेकिन प्यास बुझाने का साधन पानी ही हैं, ऐल्कॉहॉल नहीं. तो जब भी प्यास लगे उसे पानी से ही बुझाएं. 

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