…तो इसलिए पूजा के अंत में गाल बजाकर ‘बम बम भोले’ का किया जाता हैं उच्चारण

हर साल आने वाली महाशिवरात्रि इस बार 4 मार्च को है. ऐसे में शिव पूजा चाहें श्रावण मास में करें, शिवरात्रि पर करें या नित्य, भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए पूजा के अंत में गाल बजाकर ‘बम बम भोले’ या ‘बोल बम बम’ का उच्चारण किया जाता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों कहते हैं..? अगर सोचा है और आप इसका जवाब नहीं जानते हैं तो आइए हम आपको बताते हैं इसका जवाब....तो इसलिए पूजा के अंत में गाल बजाकर 'बम बम भोले' का किया जाता हैं उच्चारण

कहते हैं भगवान शिव परम वैरागी व अकिंचन हैं. जो स्वयं श्मशान में या पर्वत पर वृक्ष के नीचे रहता हो, भूत-प्रेत पिशाच जिसके गण हों, जो एक लोटा जल, आक, धतूरा, बेलपत्र और भस्म से संतुष्ट हो; उस विश्वनाथ को प्रसन्न करने के लिए किसी विशेष मन्त्र, वाद्य या श्रम की आवश्यकता कहां ? वह आशुतोष तो सदा से ही प्रसन्न हैं. केवल गाल बजाकर ‘बम-बम भोले’, ‘बोल बम-बम’ या ‘भोलेशंकर’ कहकर उसके सामने साष्टांग प्रणाम करते हुए प्रणत हो जाएं, प्रसन्न हो जाएंगे भोले भण्डारी. जी हाँ, इसमें किसी और मन्त्र या विधि-विधान की आवश्यकता नहीं है इस कारण से भगवान शिव जन-जन के देव कहे जाते हैं. इसी के साथ शिवपुराण में भी ऐसा लिखा हुआ है कि ‘शिव पूजन के अंत में समस्त सिद्धियों के दाता भगवान शिव को गले की आवाज (मुख वाद्य) से संतुष्ट करना चाहिए. जिसमे बोल बम बम या बम बम भोले बोलना चाहिए.’ आप सभी को बता दें कि शिव पूजा में गाल बजाने का अर्थ है-मुख से ही बाजा बजाना (मुख वाद्य) और अन्य देवताओं की तरह भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शंख, नगाड़ा, मृदंग, भेरी, घण्टी आदि वाद्य बजाने की आवश्यकता नहीं है, वे तो मुख वाद्य से ही प्रसन्न हो जाते हैं, इसीलिए वे ‘आशुतोष’ कहे जाते हैं .

इसी के साथ एक कहानी और भी है. जो इस प्रकार है. एक बार भगवान शिव ने माता पार्वती को अपने स्वरूप का ज्ञान कराते हुए कहा था – ”प्रणव (ॐ) ही वेदों का सार और मेरा स्वरूप है. जो शिव है वही प्रणव है और जो प्रणव है वही शिव है. ॐकार मेरे मुख से उत्पन्न होने के कारण मेरे ही स्वरूप को बताता है. यह मन्त्र मेरी आत्मा है. इसका स्मरण करने से मेरा ही स्मरण होता है. मेरे उत्तर की ओर मुख से अकार, पश्चिम की ओर मुख से उकार, दक्षिण के मुख से मकार, पूर्व के मुख से बिन्दु और मध्य के मुख से नाद उत्पन्न हुआ है. इस प्रकार मेरे पांचों मुख से निकले हुए इन सबसे एक अक्षर ‘ॐ’ बना. शिव भक्त को चाहिए कि वह प्रणव को निर्गुण शिव समझें.” आप सभी को बता दें कि ‘बम बम’ शब्द प्रणव का सरल रूप है, लेकिन इसका असर बहुत प्रभावशाली माना जाता है.

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