…तो इन कारणों से बंद हुआ 500, 1,000 रुपये के नोट

मोदी सरकार के इस फैसले का कारण आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने मंगलवार को कहा कि आर्थिक वृद्धि दर से 500 और 1,000 रुपये के नोटों का प्रसार कहीं तेज था, जिसके कारण सरकार को इन्हें वापस लेने का औचक फैसला करना पड़ा।

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सरकार द्वारा 500 और 1,000 रुपये के नोटों को वापस लिए जाने को साहस भरा और दमदार कदम की संज्ञा देते हुए दास ने कहा कि यह कालेधन और आतंकवादियों को आर्थिक मदद पहुंचाने वाले नकली नोटों से निपटने का उपाय है।

 

उन्होंने कहा कि असली नोटों में सुरक्षा के लिए अपनाए गए उपायों को तो नहीं तोड़ा जा सका था, लेकिन आम जनता को नकली नोटों के बारे में बहुत कम जानकारी थी।

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दास ने कहा कि 2011 से 2016 के बीच सभी नोटों के प्रसार में 40 फीसदी की वृद्धि हुई, लेकिन 500 रुपये के नोटों का प्रसार 76 फीसदी की दर से और और 1,000 रुपये के नोटों का प्रसार 109 फीसदी की दर से हुआ। वहीं इसी अवधि में देश की आर्थव्यवस्था में 30 फीसदी की वृद्धि हुई।

उन्होंने बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक 10 नवंबर से बाजार में नए नोट उतारना शुरू करेगा।

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