तलाक, तलाक, तलाक बोलना संविधान के खिलाफ: कोर्ट
सशस्त्र सैन्य बल अधिकरण (एएफटी) ने मौखिक तीन तलाक को संविधान की मंशा के खिलाफ करार दिया है। लखनऊ क्षेत्रीय बेंच ने गुजारा भत्ता के मामले में कहा कि संविधान में हर महिला का अधिकार संरक्षित है, इसकी अवहेलना कोई नहीं कर सकता। यहां तक कि पर्सनल लॉ की आड़ में भी उसके अधिकारों के उल्लंघन नहीं किया जा सकता।
अधिकरण ने यह भी कहा कि अदालतों या सरकारी मशीनरी को मौखिक तीन तलाक पर ज्यादा जोर नहीं देना चाहिए, क्योंकि यह संविधान के भाग-तीन में दिए गए समानता और जीवन जीने के मूल अधिकार के खिलाफ हैं।
अधिकरण के न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति देवी प्रसाद सिंह और प्रशासनिक सदस्य एयर मार्शल अनिल चोपड़ा की खंडपीठ ने बुधवार को सेना में लांसनायक (टेलर) बरेली जिले के निवासी मोहम्मद फरूर उर्फ फारूख खां की अर्जी खारिज करते हुए राहत देने से इन्कार कर दिया।
फरूर ने 2012 में दाखिल की गई इस अर्जी में अपनी बीवी को तलाक देने की बात कहते हुए उसे भरण-पोषण (मेंटीनेंस) देने के आदेश को चुनौती दी थी।